Monday, 1 April 2019

मीनार

भारत में प्रसिद्ध मीनार /स्तम्भ 🏵️🏵️

कुतुब मीनार 👉दिल्ली के महरौली नामक गांव में स्थित क़ुतुब मीनार का निर्माण कार्य गुलाम वंश के संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 ई. में प्रारंभ करवाया था ।प्रारंभ में इसकी ऊंचाई 255 फीट और 4 मंजिले होनी थी ।ऐबक के समय में मंजिल एक ही बन सकी। शेष निर्माण कार्य इल्तुतमिश के काल में पूरा किया गया ।इसकी पहली मंजिल 65 फीट ,दूसरी 51फीट, तीसरी 41 फीट, चौथी 26 फीट और पाँचवी 25 फीट है ।फिरोजशाह तुगलक के काल में चौथी मंजिल को प्राकृतिक आपदा के कारण क्षति पहुंची थी। उस समय इसमें 2 मन्जिलों का निर्माण करा दिया गया था। इस मीनार को यूनेस्को ने वर्ष 1993 में विश्व धरोहर दर्ज किया का दर्जा दिया।

चोर मीनार 👉खिलजी वंश के शासक अलाउद्दीन खिलजी ने चोर मीनार का निर्माण 13 वीं शदी में दिल्ली के हौज -ए -खास के पास करवाया था। इस मीनार के ऊपरी छोर पर लगभग 225 छेद है, जहां मौत की सजा पाए अपराधियों की सर कटी गर्दन लटका दी जाती थी ।कुछ इतिहासकारों का मानना है कि खिलजी सुल्तान इस मीनार का उपयोग मंगोलों से युद्ध में छिपने के लिए करते थे।

चारमीनार 👉कुतुब शाही वंश के शासक मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने 1591 ईस्वी में चारमीनार का निर्माण हैदराबाद में करवाया था। यह चार मीनार मीनारों के साथ एक विशाल और प्रभावशाली संरचना है ।इसकी संरचना वर्गाकार है जिसकी हर साइड 20 मीटर लंबी है इसके प्रत्येक दशा में एक दरवाजा है। इस्लामी स्थापत्य शैली में निर्मित यह मीनार ग्रेनाइट चूना पत्थर मोर्टार तथा चूर्णित संगमरमर से बनी है।

चंद मीनार👉 महाराष्ट्र के औरंगाबाद के समीप दोलताबाद में स्थित चंद मीनार का निर्माण अलाउद्दीन बहमनी ने 1435 में करवाया था। यह कुतुब मीनार के बाद भारत की दूसरी सबसे ऊंची मीनार है। इसकी ऊंचाई 210 फीट है। इस्लामिक स्थापत्य कला शैली में निर्मित इस मीनार में सो सीढ़ियां है। इस मीनार में 24 चेम्बर तथा एक छोटी मस्जिद भी है। दौलताबाद किले के अंदर स्थिति यह ममीनार पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।

सरगासूली मीनार👉 जयपुर स्थित सरगासूली मीनार का निर्माण राजा ईश्वरी सिंह ने 1749 में अपने दुश्मनों पर जीत के बाद करवाया था। इसका नाम पहले ईसरलाट रखा गया था। अधिक ऊंचाई होने के कारण स्थानीय लोगों ने इसका नाम सरगासूली रख दिया ।मीनार का नक्शा राजा ईश्वरी सिंह के राज शिल्पी गणेश खोवान ने तैयार किया था ।यह मीनार 7 खण्डों में बनी हुई है। इसकी निर्माण शैली में राजपूत और मुगल शैली का सम्मिश्रण है।

शहीद मीनार 👉सर डेविड आक्टर लोनी ने शहीद मीनार का निर्माण पर 1848 में नेपाल लड़ाई जीतने के उपलक्ष में कलकत्ता ( कोलकाता) में करवाया था ।कुतुबमीनार की तर्ज पर बनाई गई इस मीनार को ' ऑक्टर लोनी स्मारक ' के नाम से जाना जाता था।बाद में इसे नया नाम ' शहीद स्मारक ' दे दिया गया।
इसकी ऊंचाई 48 मीटर है इस मीनार को तीन अलग शैलियों में बनाया गया है ।इसकी बनावट मिस्र शैली से मिलती जुलती है।

पांडुआ मीनार👉 पश्चिम बंगाल के हुगली में स्थित पांडुआ मीनार का निर्माण 1340 में पाण्डु राजा ने करवाया था ।मीनार की ऊंचाई 125 फीट है। इस्लामिक स्थापत्य कला शैली में निर्मित इस मीनार में पत्थर के दरवाजे तीन ओर से लगे हुए हैं ।यह डिजाइन में वृत्ताकार है तथा इसमें 5 मंजिले हैं ।मीनार का व्यास 18 मीटर की गोलाई लिए हुए हैं ।यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।

अशोक स्तंभ 👉यह स्तंभ उत्तर प्रदेश के सारनाथ में स्थित है। इसका निर्माण 250 ईसा पूर्व मौर्य वंश के शासक अशोक के द्वारा करवाया गया था। इस स्तम्भ में चार शेर एक दूसरे से पीठ सटा कर बैठे है । भारत ने इस स्तंभ को अपने राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया है ,तथा स्तम्भ के निचले भाग पर स्थित अशोक चक्र को तिरंगे के मध्य रखा है ।ये स्तम्भ सारनाथ संग्रहालय में रखा हुआ है ।

इक मिनार👉 यह कर्नाटक में कृष्ण और तुंगभद्रा नदियों के बीच रायपुर शहर में स्थित है। फारसी अभिलेख से प्राप्त सूचना के आधार पर यह कहा जाता है कि इसका निर्माण महमूद शाह बहमनी ने करवाया था। इस मीनार की ऊंचाई 65 फीट है। यह दो मंजिला है। इसके ऊपर का भाग बहमनी शैली के गुम्बद से ढका हुआ है ।

झूलती मीनार 👉अहमदाबाद स्थित सीदी बशीर मस्जिद को झूलती मीनार के नाम से जाना जाता है ।इसका निर्माण सारंग नामक राजा ने 1461 से 64 के बीच करवाया था ।उसी समय सीडी बशीर इसका मुख्य पर्यवेक्षक था। इस मस्जिद की मीनारें हिलती है , जो रहस्यमई है। यह शोध द्वारा निकाले निष्कर्ष में पाया कि ये मीनारें लचकदार पत्थरों द्वारा बनाई गयी हैं।परन्तु आज तक वैज्ञानिक इन मीनारों के हिलने के कारणों का कोई ऐसा प्रमाण प्रस्तुत करने में असफल रहे हैं ।

कीर्ति स्तंभ👉 प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित इस भव्य स्तम्भ का निर्माण बघेरवाल सम्प्रदाय के श्रेष्ठी जीजा एवं पूणयसिंब ने 1301 ई.में चित्तोड़गढ में करवाया था ।24.5 मीटर ऊंचा 6 मंजिला स्तम्भ चौकोर चबूतरे पर स्थित है जिसमें उपरी मंजिल तक पहुंचने के लिए अंदर से सोपान बने हैं, जहां 12 स्तम्भों पर आधारित एक मण्डप है ।निचले तल के बाह्य भाग चारों दिशाओं में 4 तीर्थंकरों की मूर्तियां उत्कीर्ण हैं।

अलाई मीनार 👉खलजी वंश के शासक अलाउद्दीन खलजी ने दक्कन विजय के पश्चात कुतुब परिसर (दिल्ली )में अलाई मीनार का निर्माण प्रारंभ करवाया था। अलाउद्दीन खिलजी कुतुबमीनार से दोगुनी ऊँचाई की मीनार बबनवाना चाहता था ।लेकिन वह करवा नहीं पाया ।अलाई मीनार का निर्माण 24.5 मी की ऊँचाई तक ही हो पाया था और किन्ही आकस्मिक कारणों से आगे निर्माण कार्य नहीं हो सका।

लौह स्तंभ 👉दिल्ली के महरौली में कुतुब मीनार के पास गुप्त वंश के शासक चंद्रगुप्त विक्रमादित्य द्वितीय ने करवाया था ।1600 वर्ष से ज्यादा पुराना यह स्तम्भ 7 मीटर ऊँचा और 6000 किलोग्राम से अधिक का है ।इसका 1 मीटर हिस्सा भूमिगत है।खम्भे के मूल के पास इसका व्यास 17 इंच और शीर्ष का व्यास 12 इंच है।इस लौह स्तंभ की सबसे खास बात है कि इतना पुराना होने के बावजूद भी इसमें जंग नहीं लगा है ।