Wednesday, 17 July 2019

महत्वपूर्ण कथन

महत्वपूर्ण कथन (Imp..Statement)

1) ''यूरोपीय शासको ने मुगलो का अनुसरण किया तो यूरोप तबाह हो जायेगा।" #बर्नियर

2) "दिल्ली की सडके महज सडके नही है। वे तो किसी चित्रकार के एल्बम के पन्ने है।" #मीर तकी मीर

3) "उत्तर भारतीय समाज मे गांव एक महत्वपूर्ण संस्था है और उसको बचाए रखना चाहिए।" 
#होल्ट मैकेंजी

4) "दक्षिण मे मलिक काफूर की शानदार विजयो ने महमूद गजनवी की हिन्दुस्तान विजय को ढक दिया।" #वसाफ

5) "जहां कही भी खिलजियो ने तुर्को का मुकाबला किया, मुकद्दर ने तुर्को की हुकुमत का कालीन लपेट दिया।" #इसामी

6) "अलाउद्दीन खिलजी ने हिन्दुस्तान को समृद्ध बनाया पर मुहम्मद बिन तुगलक ने उसे तबाह कर दिया।" #इसामी

7) 'महात्मा बुद्ध भारत मे जन्म लेने वाले अंतिम महानतम व्यक्ति थे।'#ए एल बाशम

8) "शस्त्र धारण करना हर व्यक्ति का अधिकार है तथा अन्यायी राजा का विरोध करना उचित है।" #मेघातिथि

9) "यदि सिकन्दर का आक्रमण न होता तो बडे-2 नगर नही बनते।"#प्लूटार्क

10) "रजिया का पतन तुर्क सैनिक अभिजात वर्ग की विजय थी।''#हबीबुल्लाह

11) "अगर रजिया स्त्री ना होती तो उसका नाम सल्तनत के बहुत बडे सुल्तान मे होता।" #एलफिन्स्टन/ मिन्हाज

12) "मैं अफ्राशियाब का वंशज हूं और जब भी किसी नीच कुल मे उत्पन्न इंसान को देखता हूं तो मेरे हाथ क्रोधित होकर तलवार पर चले जाते है।" #बलबन

13) "मध्यकालीन भारत का बौद्धिक इतिहास शेख चिश्ती से व राजनीतिक इतिहास का प्रारम्भ अलाउद्दीन खिलजी से होता है।"#मुहम्मद हबीब

14) "भारत मे मुस्लिम सम्प्रभुता का इतिहास अल्तमस से प्रारम्भ होता है।" #डॉ.आर पी त्रिपाठी

15) "बलबन एक उत्तम अभिनेता की तरह दर्शकों को मंत्रमुग्ध करता था।" #के ए निजामी

16) "जितना रक्त मिस्त्र के फेराओ ने नही बनाया उससे अधिक रक्त अलाउद्दीन खिलजी ने निरपराधो का बहाया।" #बरनी

17) "मैं किसी मुसलमानो का खून नही बहा सकता क्यूकि एेसा करने पर मेरे मे व असभ्य मंगोलो मे कोई फर्क नही रहेगा।" #फिरोजतुगलक

18) "राजा का कोई सगा संबंधी नही होता।" 
इब्राहिम लोदी/अलाउद्दीन खिल्जी मे (ऑप्सन मुताबिक इलाउद्दीन)

19) "यदि मै अपने एक गुलाम को पालकी मे बैठा दूं तब भी मेरे आदेश पर सभी सरदार उसे कंधो पर उठाकर ले जायेगे।" #सिकन्दरलोदी

20) "यदि मंगोल फरिश्तो की कोई जाति होती तो उनका प्रदेश घटिया राष्ट्र कहलाता।" #बाबर

21) "जहांगीर गंगाजल का पान करता था। वह अपनी मां का बहुत आदर करता था । जब वह पालकी मे बैठ जाती तो कंधा भी देता था।" #एडवर्ड टैरी

22) "शाहजहां वैसे ही शासन करता था जैसे एक पिता अपने बच्चो पर।" #बर्नियर

23) "रेलवे भारत मे वह कार्य करेगी जो पूर्व मे कभी किसी राजवंशो या नवाबो ने नही किया हो। यह भारत को महान राष्ट्र बना देगी।"#एडविन अर्नोल्ड

24) "यूरोप के एक अच्छे पुस्तकालय की एक आलमारी का एक कक्ष भारत और अरब के समस्त साहित्य से अधिक मूल्यवान है।" #लॉर्डमैकाले

25) "पूर्व एक एेसा विश्वविद्यालय है जहां विद्यार्थी को कभी प्रमाण पत्र नही मिलता।" #कर्जन

26) "भारत पर हमारे अधिकार का अंतिम उद्देश्य देश को ईसाई बनाना है।" #मेजर एडवर्ड्स

27) "भारत को ईसाई बनाने मे असमर्थता ही इस समस्त झगडे का मूल कारण है।" #लार्ड शेफ्सटबरी

28) "हम अंग्रेज संसार मे सबसे अधिक आक्रमणशील कलहप्रिय रणोत्सुक व रक्तपिपासु लोग रहे है।" #रिचर्ड कॉब्डेन

29) "एक भारतीय नेता की विजय उसकी अपनी विजय थी जब कि एक अंग्रेज जनरल की विजय इंग्लैंड की विजय थी।" #पर्सीवलस्पीयर

30) "मैं निश्चयपूर्वक यह कह सकता हूं 1765-84 तक ईस्ट इंडिया कम्पनी की सरकार से अधिक भ्रष्ट झूठी तथा बुरी सरकार संसार के किसी भी सभ्य देश मे नही थी।" #सर जॉर्ज कर्निवल
31) "डूप्ले ने मद्रास मे भारत की चाबी खोजने का निष्फल प्रयास किया। क्लाइव ने यह चाबी बंगाल मे खोजी।" #मेरियट

32) "अगर डूप्ले 2 वर्ष और भारत मे रह जाता तो बंगाल का धन अंग्रेजो के स्थान पर फ्रांस की गोद मे जा गिरता।" #मालेसन

33) "डूप्ले प्रथम व्यक्ति था जिसने हिन्दुस्तान पर यूरोपीय सत्ता की आवश्यकता का अनुभव हुआ।" #मालेसन

34) "मैं मुसलमानो का गोखले बनना चाहता हूं।" -मोहम्मद अली जिन्ना

35) "कांग्रेस मरणासन्न हो गई है और कभी-कभी मुझे लगता है भारतीय संसदीय प्रणाली भी मरणासन्न हो गई है।" #इंदिरा गांधी

36) "यदि मैं भारत का सम्राट 1 वर्ष के लिए भी होता तो एक भी भारतीय राजा नही बचता। निजाम का नाम तो सुनने को नही मिलता।" #सर चार्ल्स नेपियर

#लगातार

37) "ईश्वर की इच्छा थी कि मैं सब धर्मो को एक समान निगाह से देखू इसलिए उसने दूसरी आंख की रोशनी ले ली।" #महाराजा रंजीत सिंह

38) "मैं अगर सरकारी नौकरी करूंगा तो अंग्रेजो को भारत से बाहर कौन करेगा।" #अर्जुन सेठी

39) "यूरोपीय को अगर न छेडा जाए तो वह शहद देगी और यदि छेडा जाए तो वे काट-काट कर मार डालेगी।" #नवाब अलीवर्दी

40) "कांग्रेस के लोग पदो के भूखे राजनीतिग्य है।" #बंकिम चंद्र

41) "कांग्रेस अपने पतन की ओर अग्रसर है।" #कर्जन

42) "कांग्रेस जनता के उस अलपसंख्यक वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है जिसकी संख्या सूक्षम है।" #डफरिन

43) "मेरठ का विद्रोह गर्मी की आंधी की भांति अचानक एवं अल्पकालिक है।" #सुरेन्द्र सेन

44) "ईश्वर ने हिन्दुस्तान का विस्तृत साम्राज्य इंग्लैंड को इसलिए प्रदान किया है ताकि ईसाई धर्म की पताका भारत के एक किनारे।से दूसरे किनारे तक लहरा सके।" #मैंगल्स

45) "हमारी व़्यवस्था स्पंज की तरह काम करती है उसके जरिये गंगा तट से सारी अच्छी चीजो को सोखकर टेम्स किनारे वर्षा कर सके।" #जॉन सुलवन

46) "भारत मे ब्रिटिश आर्थिक नीति घिनौनी है।" #कार्ल मार्क्स

47) "मैंने अहमदशाह अब्दाली जैसे चरित्र का व्यक्ति सारे ईरान, तूरान व हिन्दुस्तान मे कही नही देखा।" #नादिरशाह

48) "देशभक्ति ही महाराणा प्रताप का सबसे बडा अपराध था।" # वी ए स्मिथ

49) "इतिहास समाज मे रहने वाले मनुष्यो के कार्यो व उपलब्धियो की कहानी है।" #हेनरी पिरेन

50) "जो व्यक्ति इतिहास को याद नही रखता उसे इतिहास दुहराने पर दंड मिलता है।" #जॉर्ज सैंटाइन

51) "भारत का वाणिज्य विश्व का वाणिज्य है जो भी इस पर पूरी तरह से नियन्त्रण रखेगा वही यूरोप का असली अधिनायक होगा।" #रूसी पीटर द ग्रेट

52) "एक हिन्दू स्त्री कही भी अकेले जा सकती है यहां तक कि सबसे अधिक भीड-भाड वाली जगहो मे भी और उसे किसी निकम्मो और आवारागर्दो की नजरो से डरने की आवश्यकता नही थी।" #यूकोपीय यात्री अबे डबॉइस

53) "पाकिस्तान का निर्माता जिन्ना या नेहरू नही अपितु लॉर्ड मिन्टो था।" #डॉ.राजेन्द्र प्रसाद

54) "इतिहासकार जिसे लिखता है वही इतिहास है।" #जी आर एल्टन

55) "इतिहास विग्यान है न कम न उससे अधिक।'" जे बी ब्यूरि

56) "समस्त इतिहास विचारो का इतिहास है।" #आर जी कॉलिंगवुड

57) "आधुनिक हिन्दू धर्म की नींव नागवंशी सम्राटो ने रखी वाकाटको ने उसका पालन किया तथा गुप्तो ने उसका विकास किया।" #के पी जायसवाल

58) "राजा के सिक्के एक कुवांरी पुत्री की तरह है जिसे सुन्दर और आकर्षक होने के बावजूद भी कोई नही पा सकता।" खानेजहां मकबूल

59) "मैं शिवाजी को हिन्दू जाति द्वारा उत्पन्न किया हुआ अंतिम महान क्रियात्मक व्यक्ति और राष्ट्र निर्माता मानता हूं।" #सर जदुनाथ

60) "जब बडगांव संधि की धाराओ को पढता हूं तो मेरा सिर लज्जा से झुक जाता है।" #हेस्टिंग्स

61) "हिन्दुस्तान का हर नागरिक भ्रष्ट है ।" #कार्नवालिस

62) "पूर्व का सम्राज्य हमारे पैरो मे है।" #वैलेजली

63) लॉर्ड कर्जन मुगल औरंगजेब से कही कम नही था। दोनो एक लक्षण के थे।" #गोखले

अर्थव्यवस्था पारिभाषिक शब्दावली


अर्थव्यवस्था पारिभाषिक शब्दावली

अनौपचारिक/असंगठित क्षेत्र के उद्यम (Informal Sector Enterprises): निजी क्षेत्र के वैसे उद्यम जिनमें मजदूरी पाने वाले श्रमिकों की संख्या सामान्यतः दस से अधिक नहीं होती।
अदृश्य मदें (Invisibles): भुगतान संतुलन के चालू खाते की मदें, जिनमें दिखाई देने वाली दृश्य वस्तुएँ नहीं होती। अदृश्य मदें मुख्यतः वे सेवाएँ होती हैं, जैसे पर्यटन, जहाजरानी और वायु परिवहन, बीमा और बैंकिग आदि वित्तीय सेवाएं। इन्हीं में हम विदेशों से उपहारों के आदान-प्रदान, धन का निजी खाते पर अंतरण, सरकारी अनुदान और ब्याज, लाभ तथा लाभांश आदि को भी सम्मिलित करते हैं।
अनारक्षण (Dereservation): किसी व्यक्ति या उद्योग ही समूह को उन वस्तुओं के उत्पादन करने की छूट देना, जिन्हें पहले कोई विशेष व्यक्ति या उद्यमी बना सकते थे। भारत में यह मुख्यतः बड़े उद्योगों द्वारा उन वस्तुओं के उत्पादन की अनुमति से जुड़ा है, जिनका उत्पादन पहले केवल लघु उद्योग ही कर सकते थे।
अवमूल्यन (Devaluation) विनिमय दर में गिरावट जिसके कारण विदेशी मुद्राओं की इकाइयों के रूप में आंतरिक मुद्रा की कीमत कम हो जाती हैं।
अवसर लागत (Opportunity Cost) यह किसी कार्य या मूल्यमान के संदर्भ में परिभाषित की जाती है और अस्वीकार किए गए विकल्प के मूल्य के समान होती है।
आकस्मिक दिहाड़ी मजदूर (Casual Wage Labourer): अन्य लोगों के खेतों या उपक्रमों में दैनिक दिहाड़ी के लिए काम करने वाला व्यक्ति।
आंतरिक अर्थव्यवस्था का एकीकरण (Integration of Domestic Economy): सरकारी नीतियों द्वारा अन्य देशों के साथ स्वतंत्र व्यापार और निवेश में वृद्धि, जिससे कि आंतरिक अर्थव्यस्था अन्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ कुशलता एवं पारस्परिक निर्भरता सहित जुड़ सके।
आयात प्रतिस्थापान (Import Substitution) : सरकार की आर्थिक विकास की ऐसी नीति जिसमें आयात की जा रही वस्तुओं का स्थान देश की स्वनिर्मित वस्तुएं ले लेती हैं। इस नीति में आयात नियंत्रण, आयात शुल्क तथा अन्य नियंत्रणों को अपनाया जाता है। इस नीति के ध्येय की प्राप्ति के लिए आंतरिक उद्योगों को आत्मनिर्भरता की प्राप्ति तथा रोजगार संवर्धन के लिए प्रोत्सहित किया जाता है।
आयात शुल्क (Tariff) आयात पर वह कर जो प्रति इकाई या मूल्यानुसार निर्धारित हो
आयात शुल्क बाधाएँ (Tariff Barriers) : सरकार द्वारा आयात पर लगाए गए कर।
आयात लाइसेंस (Import Licensing) किसी देश में वस्तु के आयात की सरकार से मिलने वाली अनुमति।
आसियान (Association of South East Asian Nations) : दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों का राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक संगठन। इसके सदस्य हैं थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, फिलिपीन्स, ब्रूनी, दारूस्सलांम, कंबोडिया, लाओस, म्यांमार, वियतनाम।
उत्पादकता (Productivity) श्रम या पूँजी की दक्षता में वृद्धि से उनकी उत्पादकता में भी वृद्धि होती हैं। यह शब्द प्रायः श्रम के आगत की उत्पादकता के संदर्भ में प्रयोग किया जाता है।
उपनिवेशवाद (Colonialism) युद्ध में विषय या अन्य विधियों का प्रयोग कर किसी दूसरे देश को अपने अधीन बनाना। इस प्रकार, अपने देश की सीमा से बाहर भी अन्य राष्ट्रों के राजनीतिक आर्थिक जीवन पर नियंत्रण कर लिया जाता था। उपनिवेशवाद की सबसे बड़ी विशेषता अधीनस्थ देशों का शोषण रही है।
उपभोग समुच्चय (Consumption Basket) किसी परिवार द्वारा उपयुक्त वस्तुओं-सेवाओं का समूह जिसका प्रयोग जनता के उपभोग के स्वरूप का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है। सांख्यिकीय संस्थान इसका निर्धारण करते हैं। भारत में राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन उपभोग समुच्चय में 19 वस्तुओं को सम्मिलित करते हैं। वे हैंः (अ) अनाज (ब) दालें और दूध से बनी चीजें (स) खाद्य तेल (द) सब्जियाँ (ध) वस्त्र आदि।
उद्यम (Enterprise) किसी व्यक्ति या समूह के स्वामित्व वाला उपक्रम, जो मुख्यतः बिक्री के ध्येय से वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन और वितरण आदि करता है।
ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency) यह एक सरकारी संस्था है जिसका उद्देश्य ऐसी नीतियों और रण नीतियों का विकास करना है, जिनमें स्व-नियमन तथा बाजार-सिद्धांतों पर बल होता है। यह अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रकों में ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देता है और विद्युत के अपव्यय को रोकने के उपाय करता है।
एकाधिकारी तथा प्रतिबंधकारी व्यापार अधिनियम (Monopolies and Restrictive Trade Practices Act) इस अधिनियम को व्यापारियों की एकाधिकारी तथा अन्य जनहित बाधक व्यावहारिक प्रविष्टियों का नियमन करने के लिए लागू किया गया था।
औपचारिक/संगठित क्षेत्र के प्रतिष्ठान (Formal Sector Establishments) सभी सार्वजनिक तथा निजी प्रतिष्ठान जिनमें दस या अधिक व्यक्ति मजदूरी पर काम कर रहे हों।

अंश/हिस्से/इक्वि13w टी (Equities) किसी कंपनी की चुकता पूँजी के समान मूल्यधारी अंश। इनके धारक ही कंपनी के वास्तविक स्वामी माने जाते हैं। इन्हें कंपनी में मताधिकार प्राप्त होता है और ये लाभांश पाने के अधिकारी होते हैं।
कर प्रति कर (Cascading Effect) करों के कारण वस्तु की कीमतों में अनुपात से अधिक वृद्धि। ये प्राय अनेक चरणों में लगने वाले करों का परिणाम होता है। उदाहरणार्थः उत्पादन शुल्क की राशि को वस्तु की उत्पादन लागत में जोड़ कर उस पर विक्रय कर लगाना। इस प्रकार उत्पादन शुल्क पर भी विक्रय कर लग जाता है।
कृषि का व्यावसायीकरण (Commercialisation of Agriculture): स्व-उपभोग या पारिवारिक उपभोग नहीं, बल्कि मुख्यतः बाशार में बिक्री के व्यावसायीकरण ने कुछ अलग ही रूप धारण कर लिया था। अंग्रेजों ने खाद्य फसलों के स्थान पर नकदी फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए उनको उँचे कीमतें देनी प्रारंभ कर दी। उन्हें नकदी फसलें अपने देश के उद्योगों के लिए कच्चे माल के रूप में चाहिए थीं।
गैर-नवीकरणीय संसाधन (Non Renewable Resources) वे प्राकृतिक संसाधन जिनका नवीकरण संभव नहीं। उनका स्टॉक वृहद होता हुआ भी सीमित है। उदाहरण, जीवाश्म उर्जा संसाधन (तेल, कोयला) और लोहा, सीसा, एल्युमीनियम, यूरेनियम खनिज आदि।
गैर शुल्क बाधाएँ (Non-Tariff Barriers) सरकार द्वारा आयात शुल्क से अलग लगाए गए आयात प्रतिबंध। इनमें आयात के परिमाण और गुणवत्ता के प्रतिबंध भी सम्मिलित होते हैं।
घाटे की वित्त व्यवस्था (Deficit Financing) सरकार के व्यय का राजस्व से अधिक होना।
जनांकिकीय संक्रमण (Demographic Transition) जनांकिकीविद् फैंक्र नोटेस्टीन द्वारा 1945 में विकसित अवधारणा। यह आर्थिक विकास से जुड़ी बेहतर जीवन दशाओं के परिणामस्वरूप जन्म और मृत्युदरों में गिरावट की विशेष प्रवृत्तियों की व्याख्या करने वाली अवधारणा है। नोटेस्टीन ने जनांकिकीय संक्रमण की तीन अवस्थाओं का प्रतिपादन किया थाः पूर्व औद्योगिक, विकासशील तथा आधुनिक समाज। बाद में औद्योगीकरण के उपरांत की अवस्था भी इसमें सम्मिलित कर ली गई।
जन्म के समय जीवन-प्रत्याशा (Life expectancy at birth) : जन्म के समय विद्यमान आयु-विशेष मृत्यु दर के पैटर्न के जीवन भर स्थिर रहने पर, उस नवजात शिशु के जीवित रहने की प्रत्याशा (वर्षों में)।
जी-8 (G-8) आठ देशों का गुटः इसमें कनाडा, प्रफ़ांस, जर्मनी, इटली, जापान ब्रिटेन, उत्तरी आयरलेंड, सं.रा.अमेरिका, और रूसी महासंघ सम्मिलित हैं। यहाँ राज्याध्यक्षों और अंतर्राष्ट्रीय अधिकारियों का वार्षिक आर्थिक-राजनीतिक शिखर सम्मेलन होता है। यहाँ अनेक बैठकें तथा नीतिगत अनुसंधान होते रहते हैं। गुट की अध्यक्षता की अवधि एक वर्ष है जो बारी-बारी से सदस्यों को प्रदान की जाती हैं। वर्ष 2006 का अध्यक्ष रूस है। इस वर्ष का शिखर सम्मेलन रूस के सेंट पीट्र्सबर्ग में होगा।
जी-20 (G-20) : विश्व व्यापार संगठन में व्यापार और कृषि से जुड़े प्रश्नों पर ध्यान देने के लिए विकासशील देशों का समूह। इसमें ये देश सम्मिलित हैंः अर्जेटीना, बोलिविया, ब्राजील, चिली, विचाईल, चीन, क्यूवा, मिश्र, ग्वेटेमाला, भारत, इंडोनेशिया, मैक्सिकों, नाईजीरिया, पाकिस्तान, पराग्वे, फिलीपीन्स, दक्षिण अप्रफ़ीका, थाइलैंड, तंजानिया, वेनेजुएला और जिम्बाब्वे।
नई आर्थिक नीति (New Economic Policy) भारत में वर्ष 1991 से अपनाई जा रही नीतियों के नाम।
निर्यात-आयात नीति/व्यापार नीति (Export-Import Policy) सरकार की वे आर्थिक नीतियाँ जो आयात और निर्यात व्यापार को प्रभावित करती हैं।
निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठान (Private Sector Establishment) निजी व्यक्तियों/समूहों के स्वामित्व और नियंत्रण वाले प्रतिष्ठान।
नवीकरणीय संसाधन (Renewable Resources) वे संसाधन जो विवेकपूर्वक प्रयुक्त होने पर प्राकृतिक प्रक्रियाओं के माध्यम से नवीनीकृत होते रहते हैं। जल, वन, पशुधन, मत्स्य आदि एसेे ससं शधन हैं कि यदि इनका अत्यधिक विदाहे न नहीं हो, तो ये निरंतर बने रह सकते हैं।
निर्यात शुल्क (Export Duties) किसी देश से वस्तुओं के निर्यात पर लगाया गया कर।
निर्यात संवर्धन (Export Promotion) राजकीय और व्यापारिक समर्थन सहित वे सभी नीतियाँ जिन्हें सरकार उच्च आर्थिक संवृद्धि प्राप्त करने और अधिक विदेशी मुद्रा कमाने के ध्येय से अपनाती है। इन नीतियों से निर्यात बाधाओं को दूर किया जाता है।
नियोजक रोजगारदाता (Employers) वे स्वनियोजक जो अपना काम स्वयं या कुछ भागीदारों की सहायता से चलाते हैं और प्रायः श्रमिकाें को उस उद्यम के संचालन के लिए काम पर रखते हैं।
नियमित वेतन/मजदूरी पानेवाले श्रमिक (Regular Salaried/Wage Employees) अन्य लोगों के खेतों/फर्मांे में काम करने वाले व श्रमिक कर्मचारी जिन्हें नियमित रूप से वेतन या मजदूरी (दिहाड़ी या समय-समय पर नवीनीकृत अनुबंधानुसार नियत भुगतान के रूप में) मिलती है। इनमें सभी पूर्ण और अंशकालिक तथा प्रशिक्षणार्थी कर्मचारी भी सम्मिलित होते हैं।
परिमाणात्मक प्रतिबंध (Quantitative Restrictions) आंतरिक उद्योगों के संरक्षण और भुगतान शेष के घाटे को कम करने के लिए देश में आयात होने वाली वस्तुओं की मात्र नियत करना।
परिवार (Household) सामान्यतः एक साथ रहने और एक रसोई में भोजन करने वाले व्यक्तियों का समूह। सामान्यतः का अर्थ है कि इनके मेहमान परिवार का अंग नहीं हाेंगे। इसी प्रकार इनमें से यदि कोई अस्थायी रूप से बाहर गया हो, तो उस की परिवार की सदस्यता समाप्त नहीं होगी।
पारिवारिक श्रम/श्रमिक परिवार के खेत (Family Labour/Worker) : उद्योग या उद्यम आदि में नकद या वस्तु स्वरूप मजदूरी पाने की इच्छा के बिना काम करने वाला व्यक्ति।
पेंशन (Pension) सेवा निवृत्त श्रमिक को मिलने वाली मासिक निर्वाह राशि।
प्रतिष्ठान (Establishment) ऐसे उद्यम जिनमें वर्ष की अधिकांश अवधि में परिश्रमिक पाने वाला श्रमिक अवश्य कार्य करता है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment) किसी देश की आंतरिक संरचनाओं, संयत्रें और संस्थाओं में विदेशी परिसंपत्तियों का निवेश। इसमें शेयर बाशार में लगी विदेशी पूँजी शामिल नहीं की जाती। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को शेयर बाजार के माध्यम से स्वदेशी कंपनियों में निवेश से बेहतर माना जाता है। प्रायः यह धारणा रहती है कि शेयर बाशार में लगा धन तो अस्थिर है - जो अल्पकालिक स‘े बाजी के लिए आया है -और कभी भी समाप्त हो सकता है। इसके विपरीत प्रत्यक्ष निवेश चाहे अच्छा हो या बुरा, दोनों ही परिस्थितियों में देश में काम आता ही रहेगा।
प्रतिव्यक्ति आय (Per Capita Income) किसी अवधि विशेष में राष्ट्रीय आय और राष्ट्रीय जनसंख्या का अनुपात।
प्रवेश अवरोध (Barriers to Entry) वे कारक जो किसी उद्योग में प्रवेश को इच्छुक फर्मों का आगमन कठिन बना देते हैं। ये अवरोध उस उद्योग में लगी पुरानी फर्मों को प्रभावित नहीं करते, केवल नई फर्मों पर ही लागू होते हैं।
प्रसव/मातृत्व मृत्यु दर (Maternal Mortality Rate) : यह प्रसव काल में माताओं की मृत्यु और सजीव जन्मों का अनुपात है। कई बार सजीव जन्मों के साथ गर्भपात का भी योग बन जाता है। अनुपात की गणना एक वर्ष की अवधि के लिए की जाती है।
बजट घाटा (Budgetary Deficit) सरकार की आय और कर राजस्व द्वारा उसके व्यय का पूरा न हो पाना।
बहुपक्षीय व्यापार संधियाँ (Multilateral Trade Agreements) : किसी देश द्वारा दो या अधिक देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान संबंधी व्यापार समझौते।
बेहतर अनुपालन (Better Compliance) सामान्य रूप से कर भुगतान आदि के संदर्भ में प्रयुक्त सरकारी अनुदेशों का पालन।
ब्रूंटलेंड कमीशन (Brundtland Commission) संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1983 में विश्व की पर्यावरण समस्याओं के अध्ययन के लिए नियुक्त आयोग। इसने एक रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें ‘धारणीय विकास’ की परिभाषा के बड़े व्यापक रूप से उद्धरण दिए गए।
बेरोजगारी (Unemployment) वे सभी व्यक्ति जो काम के अभाव के कारण बेकार बैठे हैं, पर रोजगार कार्यालयों, मध्यस्थों, मित्रें, संबंधियों के माध्यम से अथवा संभावित रोजगार दाताओं को आवेदन दे कर रोजगार के लिए अपनी उपलब्धता सूचित कर रहे हों। इन्हें कार्य की वर्तमान दशाओं और प्रचलित पारिश्रमिक दरों पर काम करने के लिए तत्पर होना चाहिए।
भुगतान संतुलन (Balance of Payments) किसी देश के वर्ष भर की अवधि में शेष विश्व से चालू और पूँजीगत खातों पर हुए समस्त लेन-देन का सांख्यिकीय सार। इस खाते में अवधि भर के सभी दाायित्वों और परिसंपत्तियों का ब्यौरा होता है। इसलिए यह सदैव संतुलन में रहता है।
भूमि/राजस्व बंदोबस्त (Land/Revenue settlement) : देश के विभिन्न भागों में अग्रेजी शासन की स्थापना के बाद उनके प्रशासन का गठन करने के लिए एक सर्वेक्षण किया गया। सरकार के हित की दृष्टि से प्रत्येक भूखंड मे उगाए जाने वाले राजस्व का निर्धारण करने का निर्णय लिया गया। यह भूखंड चाहे किसी किसान के अधिकार में या महल अथवा ‘राजस्व ग्राम’ या फिर किसी जमींदार के अधिकार में रहा हो। यह अधिकार चाहे स्वामित्वाधिकार रहा हो या फिर कर्षण अधिकार ही हो। इसी अधिकार के आधार पर राजस्वनिर्धारण को भू राजस्व व्यवस्था का बंदोबस्त कहा गया है। भारत में तीन प्रकार की राजस्व व्यवस्थाएँ लागू की गई थीं (क) स्थायी बंदोबस्त या जमींदारी व्यवस्था (ख) किसानों के साथ व्यक्तिगत आधार पर राजस्व निर्धारण रैयतवाड़ी व्यवस्था और (ग) पूरे राजस्व ग्राम से राजस्व व्यवस्था (महलवाड़ी व्यवस्था)।
भविष्य निधि (Provident Fund) कर्मचारियों के हितार्थ संचालित कोष- इसमें कर्मचारी और रोजगारदाता दोनों ही अंशदान जमा करते हैं। इसका संचालन सरकार करती है तथा इसकी संचित राशि सेवानिवृत्ति के समय कर्मचारी को दे दी जाती है।
मृत्यु दर (Death rate) : यह शब्द ‘मृत्यु’ पर ही आधारित है। इसे वर्ष भर में प्रति हजार जनसंख्या में हुई मृत्यु की संख्याओं द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है। यह मृत्यु सामान्य हो या रोग आदि के कारण, दोनों ही प्रकारों को गणना में सम्मिलित किया जाता है। यह रुग्णता दर से भिन्न है। रुग्णता दर तो बीमारी के कारण काम न कर पाना दर्शाती है।
मुद्रास्फीति (Inflation) : सामान्य कीमत स्तर में निरंतर वृद्धि।
योजना आयोग (Planning Commission) भारत सरकार द्वारा गठित एक संगठन। यह देश के सभी संसाधनों के अधिकतम संतुलित और युक्तियुक्त प्रयोग की योजनाएँ बनाने का कार्य करता है। इसे देश के विकास पथ की वरीयताएँ भी निर्धारित करनी होती है।
यूरोपीय संघ (European Union) यूरोप महाद्वीप में राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक सहयोग बढ़ाने के ध्येय से वहाँ के 25 स्वतंत्र देशों द्वारा गठित ‘महासंघ’। इसके सदस्य देश हैं- आस्ट्रिया, बेल्जियम, साइप्रस, चैक-गणराज्य, हंगरी, आयरलैंड, इटली, लातीविया, लिथुआनिया, लक्सेमवर्ग, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, युनाइटेड-किंगडम, माल्टा, पोलेंड, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया।
राज्य विद्युत बोर्ड (State Electricity Boards) ये राज्य प्रशासन के ऐसे अंग हैं जो विद्युत उत्पादन, संवहन और वितरण के कार्य करते हैं।
* राष्ट्रीय उत्पाद/आय (National Product/Income):) : किसी देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मूल्यों और विदेशों से प्राप्त आय का योगफल।
रुग्णता (Morbidity) : बीमार पड़ने की प्रवृत्ति। यह अस्थायी अपंगता द्वारा काम को दुष्प्रभावित करती है। निरंतर रुग्णता अंततः मृत्यु का रूप भी धारण कर सकती हैं। हमारे देश में रूग्णता के दो प्रमुख कारण हैं, भीषण श्वास संक्रमण और डायरिया।
वहन क्षमता/धारण क्षमता (Carrying Capacity) एक घनत्व विशेष पर जनसंख्या को धारण करने की किसी परिवेश की क्षमता। इसकी अधिक तकनीकी परिभाषा इस प्रकार हैः घनत्व आधारित जनसंख्या का वह अधिकतम आकार, जहाँ पहुँचकर इसकी वृद्धि रुक जाती है। अतः उस अधिक सीमा तक जनसंख्यां में वृद्धि होती रहती है। यदि जनसंख्या धारण क्षमता से अधिक हो जाए तो अपर्याप्त स्थान, खाद्य आदि के कारण निर्वाह से जुड़ी कठिनाईयों के कारण प्रजनन प्रक्रिया बाधित होने लगती है। विभिन्न प्रजातियों की धारण क्षमताएं परिवेशानुसार भिन्न हो सकती हैं। अनेक कारणों से समय के साथ इसमें परिवर्तन भी संभव है। ये कारण हैं, खाद्य सुलभता, पर्यावरण स्थान आदि।
व्यापारी बैंक (Merchant Bankers) कंपनियों को सलाह देने, उनके अंश और ये ऋण निर्गमन का प्रबंध करने वाले बैंक, वित्तीय संस्थान या निवेश बैंक।
व्यतिक्रम/चूक (Default) नियत तिथि पर ट्टण और ब्याज का भुगतान नहीं कर पाना। ट्टण ये किसी अतंर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान से सरकार द्वारा लिए गए ट्टण भी हो सकते हैं। इस प्रकार ट्टणी की विश्वसनीयता या ‘साख’ पर आँच आती है।
वित्तीय संस्थान (Financial Institution) बचतों के संग्रह और प्रयोजन या आबंटन से जुड़े संस्थान। इनमें व्यावसायिक, सहकारी और विकास बैंक तथा निवेश संस्थान सम्मिलित हैं। वित्तीय नीति (थ्पेबंस च्वसपबल) आर्थिक गतिविधियों के नियमन के लिए करों तथा सरकारी व्यय का प्रयोग।
विदेशी विनिमय/विदेशी मुद्रा (Foreign Exchange) अन्य देशों की मुद्रा या बाँड या अन्य वित्तीय परिसंपत्तियों के माध्यम से आया विदेशी निवेश। इस प्रकार के निवेश के साथ किसी फर्म के प्रबंध और नियंत्रण में निवेशक फर्मों/व्यक्तियों का कोई हस्तक्षेप नहीं हो पाता।
विदेशी विनिमय मुद्रा बाशार (Foreign Exchange Market) ऐसा बाशार जहाँ आज की नियत दरों पर मुद्राओं की खरीद बिक्री होती है - पर उस खरीदी-बेची गई मात्र का वास्तविक हस्तांतरण भविष्य की किसी नियत तिथि को ही किया जाता है।
विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zones) ऐसे भौगोलिक क्षेत्र जिनमें विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के ध्येय से देश के सामान्य आर्थिक कानूनों को पूर्णतः लागू नहीं किया जाता। विशेष रूप से बनाए गए आर्थिक क्षेत्रें में स्थापित हो चुके हैं। ये दश्े श हं-ै जनवादी चीन, भारत, जार्डन, पोलैंड, कजाकिस्तान, फिलीपीन्स रूस आदि।
विनिवेश (Disinvestment) किसी कंपनी की पूँजी के एक अंश को जान-बूझ कर बेचना। इस प्रकार धन जुटाने के साथ-साथ उस कंपनी की हिस्सेदारी, रचना या प्रबंधन या दोनों, में बदलाव भी किये जा सकते हैं।
वैधानिक तरलता अनुपात (Statutory Liquidity Ratio) रिजर्व बैंक के आदेशानुसार बैंकों द्वारा कुल जमाओं और सुरक्षित निधियों का तरल रूप में रखा जाने वाला अंश। नकद जमा अनुपात के साथ-साथ इस वैधानिक तरलता अनुपात का अनुपालन करना बैकों के लिए अनिवार्य होता है।
सहभागिता (Communes) जन सहभागिता या चीनी भाषा में रोन्मिन गोंगशे। यह चीन में 1958 से 1985 की अवधि में ग्रामीण प्रशासन के तीन स्तरों में से सबसे उच्चतम स्तर था। इस अवधि (1982.85) में इसका स्थान नगर प्रशासन ने ले लिया। विशालतम सामुदायिक इकाइयों (कम्यूनों) का विभाजन कर उन्हें उत्पादन वाहिनियों तथा उत्पाद दलों में पुनर्गठित कर दिया गया। उन जन सहभागिताओं के प्रशासकीय, राजनीतिक और आर्थिक कार्य होते थे।
संस्थागत विदेशी निवेशक (Foreign Institutional Investors) : अन्य देशों में आधार वाले बैंक और गैर-बैंक संस्थान। इनमें विदेशी व्यावसायिक बैंक, निवेश बैंक, म्युचुयल फंड, पेंशन कोष जैसी निवेशक संस्थाएँ सम्मिलित होती हैं। (स्पष्टतः ये संस्थाएँ देश की अपनी इस प्रकार की संस्थाओं से अलग होती हैं)। शेयर, बांड आदि में स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से इनके निवेश का देश की आर्थिक व्यापारिक परिस्थितियों पर गहन प्रभाव पड़ता है।
सार्क (South Asian Association for Regional Cooperation - SAARC) दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ इस क्षेत्र के आठ देशों का संघ है। ये देश हैंः भारत, भूटान बांग्लादेश, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और अफगानिस्तान। सार्क दक्षिण एशियाई जनसमुदायों को मैत्री, विश्वास और सूझबूझ के आधार पर मिलजुल कर कार्य करने का एक मंच प्रदान करता है। इसका ध्येय सदस्य देशों में आर्थिक सामाजिक विकास का संवर्धन है।
सामाजिक सुरक्षा (Social Security) वृद्ध, अपंगों, असहायों, विधवाओं और बच्चों के हितार्थ स्थापित/संचालित निजी और सार्वजनिक पेंशन संस्थाएँं। इनमें पेंशन, सेवानुदान, भविष्य निधि, मातृत्व लाभ, स्वास्थ्य सेवा आदि सम्मिलित होते हैं।
स्वनियोजित (Self-Employed) अपने खेत/व्यवसाय आदि का स्वतंत्र रूप से संचालन करने वाले व्यक्ति। इनके कुछ सहायक हो सकते हैं। कब, कहाँ उत्पादन या विक्रय करें अथवा कैसे कार्य का संपादन करें, इन बातों के विषय में निर्णय की इन्हें स्वतंत्रता रहती है। इनकी आय मुख्यतः अपने उत्पादन के विक्रय या लाभ पर निर्भर रहती है।
स्थिरीकरण उपाय (Stabilisation Measures) भुगतान शेष के उतार-चढ़ाव और उच्च स्फीति दर के नियमन के लिए अपनाए गए वित्तीय, राजकोषीय तथा मौद्रिक नीतिगत उपाय।
सेवानुदान (Gratuity) : कर्मचारी के सेवामुक्त होने पर उसे उसकी सेवाओं के लिए नियोत्तफ़ा से मिलने वाली एकमुश्त मानार्थ राशि।
स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) : ऐसा शेयर बाशार जहाँ सरकारों और सार्वजनिक कंपनियों की प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय होता है। यहाँ दलालों को कंपनियों के अंशपत्रें तथा अन्य प्रतिभूतियों के व्यापार की सुविधाएँ उपलब्ध रहती है।
शहरीकरण (Urbanisation) किसी महानगरीय क्षेत्र का प्रसार, शहरी क्षेत्रें की जनसंख्या या उनके क्षेत्रफल का विस्तार या उनके अनुपात में समयानुसार वृद्धि। इसके प्रतिनिधि-स्वरूप शहरों में बसी जनसंख्या का अनुपात या इस अनुपात की वृद्धि दर का प्रयोग हो सकता है। इन दोनों को ही जनगणना प्रतिशत में व्यक्त किया जा सकता है। परिवर्तन अवधि वार्षिक, दशकीय या फिर कोई अतंवर्ती अवधि हो सकती है।
शेयर बाशार (Stock Market) शेयर आदि के व्यापार के लिए संस्थान।
शिशु मुत्यु दर (Infant Mortality Rate) एक वर्ष की आयु से पूर्व ही मृत शिशुओं की संख्या तथा उस वर्ष में जन्में शिशुओं की संख्या का अनुपात गुणा 1000।
श्रमिक संघ (Trade Union) मजदूरी की दरों, लाभों और कार्य करने की दशाओं को लेकर अपने सदस्यों के हितों के रक्षार्थ मजदूरों द्वारा बनाई गई संस्था।
श्रमिक जनसंख्या अनुपात (Infant Mortality Rate) श्रमिकों की कुल संख्या का देश की जनसंख्या में अनुपात। इसे प्रतिशत में अभिव्यक्त किया जाता है।
श्रम कानून (Labour Laws) सरकार द्वारा श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए बनाए गए नियम।
एडम स्मिथ (1723-1790) : आधुनिक अर्थशास्त्र के जनक। ‘वेल्थ ऑफ नेशन्स’ के लेखक।
समस्त मुद्रा संसाधन : डाकघर बचत संगठन की अवधि जमा रहित व्यापक मुद्रा (ड3)।
आभ्यंतरिक स्थिरक : निश्चित व्यय और कर नियमों के अंतर्गत जब आर्थिक दशाएँ बदतर स्थिति को प्राप्त होती है, तो खर्च में स्वतः बढ़ोतरी हो जाती है अथवा करों में स्वतः कमी आ जाती है। अतः अर्थव्यवस्था स्वतः स्थिर दशा को प्राप्त होती है।
स्वायत्त परिवर्तन : समष्टि अर्थशास्त्र के मॉडल में परिवर्तों के मानों में अंतर, जो कि मॉडल के बहिर्जात कारकों के कारण होता है।
स्वायत्त व्यय गुणक : स्वायत्त खर्च में वृद्धि (अथवा कमी) से समस्त निर्गत अथवा आय में वृद्धि (अथवा कमी) का अनुपात।
अदायगी-संतुलन : किसी भी देश का शेष विश्व के साथ लेन-देन की लेखाओं का संक्षिप्त विवरण।
संतुलित बजट : ऐसा बजट जिसमें करों से प्राप्त राजस्व सरकार के व्यय के बराबर हो।
संतुलित बजट गुणक : करों और सरकार के व्यय दोनों में इकाई वृद्धि या कमी के फलस्वरूप संतुलन निर्गत में परिवर्तन।
बैंक दर : आरक्षित निधि के अभाव की स्थिति में यदि व्यावसायिक बैंक रिजर्व बैंक से ऋण लेता है, तो व्यावसायिक बैंकों द्वारा भुगतान योग्य ब्याज दर।
वस्तु विनिमय : मुद्रा की मध्यस्थता के बिना वस्तुओं का विनिमय।
आधार वर्ष : वह वर्ष जिसकी कीमत का प्रयोग करके वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की गणना की जाती है।
बंधपत्र : कागज का ऐसा टुकड़ा, जिस पर एक निर्धारित अवधि के पूरे होने पर भविष्य में मौद्रिक प्र्रतिफल का वादा लिखित होता है। बंधपत्र फर्म अथवा सरकार के द्वारा लोगों से पैसा उधार लेने के लिए जारी किया जाता है।
व्यापक मुद्रा : संकुचित मुद्रा़व्यावसायिक बैंकों और डाकघर बचत संगठन द्वारा रखी गई आवधिक जमा।
पूँजी : उत्पादन का एक ऐसा कारक, जो स्वयं उत्पादित होता है और आमतौर पर उत्पादन प्रक्रम में इसका पूर्णरूपेण उपभोग नहीं होता।
पूँजी लाभ/हानि : किसी बंधपत्रधारी के धन के मूल्य में वृद्धि अथवा कमी जो कि बाजार में उसके बंधपत्रें की कीमतों में वृद्धि अथवा कमी के कारण होता है।
पूँजीगत वस्तुएँ : ऐसी वस्तुएँ जिनका क्रय उपभोक्ता की तत्काल आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए नहीं बल्कि दूसरी वस्तुओं का उत्पादन करने के लिए किया जाता है। पूँजीवादी देश अथवा अर्थव्यवस्थाःवह देश जहाँ अधिकांश उत्पादन पूँजीवादी फर्मों द्वारा किया जाता है।
पूँजीवादी फर्म : वे फर्म जिनमें निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं (ं)उत्पादन के कारकों का निजी स्वामित्व (इ)बाजार के लिए उत्पादन (ब)एक दी गई कीमत जिसे मजदूरी की दर कहते हैं, पर श्रम का क्रय और विक्रय (क)पूँजी का निरंतर संचय।
नकद आरक्षित अनुपात : व्यावसायिक बैंकों के द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक के पास रखी गई जमा राशि का अंश।
आय का वर्तुल प्रवाह : वह संकल्पना, जिसके अनुसार किसी अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं का कुल मूल्य एक वर्तुल पथ पर गमन करता है। यह प्रवाह या तो कारक अदायगी है या वस्तुओं और सेवाओं पर व्यय अथवा समस्त उत्पादन के मूल्य के रूप में होता है।
टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएँ : ऐसी उपभोक्ता वस्तुएँ जो अतिशीघ्र नष्ट नहीं होती हैं बल्कि एक कालावधि तक टिकती हैं, टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएँ कहलाती हैं।
उपभोक्ता कीमत सूचकांक : भारित औसत कीमत स्तर में प्रतिशत परिवर्तन। हम एक दी हुई उपभोक्ता वस्तुओं की टोकरी की कीमतों को लेते हैं।
उपभोग वस्तुएँ : अंतिम उपभोक्ताओं के द्वारा उपभोग की गई वस्तुएँ अथवा उपभोक्ता की तत्काल आवश्यकता को पूरा करने वाली वस्तुएँ, उपभोग वस्तुएँ कहलाती हैं। इसमें सेवाओं को भी शामिल किया जा सकता है।
निगम कर : निगमों के द्वारा अर्जित आय पर लागए गए कर (या निजी क्षेत्रक के फर्म)।
करेंसी जमा अनुपात : लोगों के द्वारा करेंसी के रूप में अपने पास रखी गई मुद्रा और व्यावसायिक बैंकों में जमा की गई मुद्रा के अनुपात को करेंसी जमा अनुपात कहते हैं। केंद्रीय बैंक से ऋण लेने के माध्यम से घाटे की वित्त व्यवस्थाःबजटीय घाटे के लिए सरकार केंद्रीय बैंक से ऋण-ग्रहण के माध्यम से वित्त व्यवस्था करती है। इससे अर्थव्यवस्था में मुद्रा की पूर्ति में वृद्धि होती है और फलस्वरूप स्फीति उत्पन्न होती है।
मूल्यह्रास : पूँजी स्टॉक में एक कालावधि के अंतर्गत टूट-फूट अथवा अवक्षय है।
मूल्यह्रास : तिरती विनिमय दरों के अंतर्गत विदेशी मुद्रा के रूप में देश की करेंसी की कीमत में कमी। यह विनिमय दरों में वृद्धि के अनुरूप होती है।
अवमूल्यन : आधिकारिक कार्रवाई के माध्यम से अधिकीलित विनिमय दरों के अंतर्गत देशीय करेंसी की कीमत में कमी।
आवश्यकताओं का दुहरा संयोग : एक ऐसी स्थिति, जहाँ दो आर्थिक एजेंटों के पास एक-दूसरे के आधिक्य उत्पादन के लिए पूरक माँग हो।
आर्थिक एजेंट अथवा इकाइयाँ : आर्थिक एजेंट अथवा आर्थिक इकाइयाँ ऐसे व्यक्ति अथवा संस्थाएँ होती हैं, जो आर्थिक निर्णय लेती हैं।
प्रभावी माँग का सिद्धांत : यदि अंतिम वस्तुओं की पूर्ति को अल्पकाल में स्थिर कीमत पर अनंत लोचदार मान लिया जाए, तो समस्त निर्गत का निर्धारण केवल समस्त माँग के मूल्यों द्वारा होता है। इसे प्रभावी माँग का सिद्धांत कहते हैं।
उद्यमवृत्ति : उत्पादन के दौरान संगठन, समन्वयन और जोखिम वहन का कार्य।
प्रत्याशित उपभोग : योजनागत उपभोग का मूल्य।
प्रत्याशित निवेश : योजनागत निवेश का मूल्य।
प्रत्याशित : किसी परिवर्त का उसके वास्तविक मूल्य के विपरीत योजनागत मूल्य।
यथार्थ : किसी परिवर्त का उसके योजनागत मूल्य के विपरीत वास्तविक अथवा उपलब्ध मूल्य। राष्ट्रीय आय गणना की व्यय विधिःएक कालावधि में किसी अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के लिए अंतिम व्यय के समस्त मूल्य की माप करके राष्ट्रीय आय की गणना की विधि।
निर्यात : किसी देश की घरेलू वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री शेष विश्व को करना।
बाह्य क्षेत्रक : इससे किसी देश और शेष विश्व के बीच आर्थिक लेन-देन सूचित होता है।
बाह्य : वैसे लाभ अथवा हानि जो किसी दूसरे व्यक्ति, फर्म या किसी अन्य सत्ता को केवल कुछ व्यक्तियों के कारण प्राप्त हो रहा है। फर्म अथवा कोई अन्य सत्ता किसी भी अन्य आर्थिक क्रियाकलाप में भाग ले सकते हैं। अगर कोई दूसरे को लाभ अथवा अच्छा बाह्य कारण उपलब्ध करा रहा है, तो प्रथम के द्वारा इसके लिए दूसरे को कोई भुगतान नहीं किया जाता। अगर किसी को दूसरे के द्वारा हानि अथवा खराब बाह्य कारण उपलब्ध कराया जाता है, तो प्रथम को इसके लिए कोई क्षतिपूर्ति नहीं दी जाती।
आदेश मुद्रा : वह मुद्रा जिसका कोई आंतरिक मूल्य नहीं होता।
अंतिम वस्तुएँ : वे वस्तुएँ जिनमें उत्पादन प्रक्रम में पुनः कोई शिफ्रट नहीं होता।
फर्म : आर्थिक इकाइयाँ जो वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करती हैं तथा उत्पादन के कारकों को नियोजित करती हैं।
राजकोषीय नीति : सरकार के खर्च के स्तर तथा अंतरण और कर ढ़ाँचे के स्तर के संबंध में सरकार की नीति।
स्थिर विनिमय दर : दो या दो से अधिक देशों की करेंसियों के बीच की विनिमय दर, जिसका निर्धारण कुछ स्तर पर नियत कर दिया जाता है और जिनके बीच समंजन कभी-कभी ही होता है।
नम्य/तिरती विनिमय दर : केंद्रीय बैंक के हस्तक्षेप के बिना विदेशी बाजार में माँग और पूर्ति की शक्तियों के द्वारा निर्धारित विनिमय दर।
प्रवाह : परिवर्त जिसे एक कालावधि में परिभाषित किया जाता है।
विदेशी विनिमय : विदेशी करेंसी परिवर्त दिए हुए देश की देशीय करेंसी को छोड़कर अन्य सारी करेंसियाँ।
विदेशी विनिमय आरक्षित : किसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा धारित विदेशी परिसंपत्तियाँ।
उत्पादन के चार कारक : भूमि, श्रम, पूँजी और उद्यमवृत्ति। ये सब एक साथ वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में मदद करते हैं।
सकल घेरलू उत्पाद अवस्फितीक : नाममात्र के वास्तविक सकल घरेलू उत्पादों का अनुपात।
सरकारी खर्च गुणक : सरकारी खर्च में प्रत्येक इकाई वृद्धि के फलस्वरूप निर्गत में वृद्धि के आकार को प्रदर्शित करने वाले सांख्यिक गुणांक।
सरकार : राज्य, जो देश में कानून व्यवस्था कायम करता है, कर एवं शुल्क लगाता है, कानून बनाता है और नागरिकों के आर्थिक कल्याण को प्रोत्साहित करता है।
महामंदी : 1930 के दशक की कालावधि में (जो न्यूयार्क में 1929 में स्टॉक बाजार तेजी से गिरावट के साथ शुरू हुई) निर्गत में गिरावट और बेरोजगारी में बड़ी मात्र में वृद्धि देखी गयी।
सकल घरेलू उत्पाद : किसी देश की सीमा के अंतर्गत उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का समस्त मूल्य। इसमें पूँजी स्टॉक के मूल्यह्रास के प्रतिस्थापन निवेश भी शामिल होते हैं।
सकल राजकोषीय घाटा : राजस्व प्राप्तियों और पूँजीगत प्राप्तियों की अपेक्षा कुल सरकारी व्यय का आधिक्य, जिससे ऋण का सृजन नहीं होता।
सकल निवेश : पूँजीगत स्टॉक में अभिवृद्धि, जिसमें पूँजी स्टॉक में होने वाले टूट-फूट के लिए प्रतिस्थापन भी शामिल होता है।
सकल राष्ट्रीय उत्पाद : सकल घरेलू उत्पाद़विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय। दूसरे शब्दों में, सकल राष्ट्रीय उत्पाद में देश के सभी नागरिकों की समस्त आय शामिल है, जबकि सकल घरेलू उत्पाद में देशीय अर्थव्यवस्था के अंतर्गत विदेशियों के द्वारा प्राप्त आय शामिल किये जाते हैं और अपने देश के नागरिकों द्वारा विदेशी अर्थव्यवस्था से प्राप्त आय को निकाल दिया जाता है।
सकल प्राथमिक घाटा : राजकोषीय घाटा - ब्याजों की अदायगी।
उच्च शक्तिशाली मुद्रा : देश के मौद्रिक प्राधिकरण द्वारा अपनाई गई मुद्रा। इसमें मुख्यतः करेंसी आती हैं।
परिवार : परिवार अथवा व्यक्ति, जो फर्मों को उत्पादन के कारकों की आपूर्ति करते हैं और जो फर्मों से वस्तुओं और सेवाओं का क्रय करते हैं।
आयात : शेष विश्व से किसी देश द्वारा खरीदी गई वस्तुएँ और सेवाएँ।
राष्ट्रीय आय की गणना की आय विधि : एक समयावधि में किसी अर्थव्यवस्था में अंतिम कारक अदायगी (आय) के समस्त मूल्य की माप करके राष्ट्रीय आय की गणना की विधि।
ब्याज : पूँजी के द्वारा प्रदान की गई सेवाओं के लिए भुगतान।
मध्यवर्ती वस्तुएँ : ऐसी वस्तुएँ जिनका प्रयोग अन्य वस्तुओं के उत्पादन के दौरान उत्पादन प्रक्रम में होता है।
माल-सूची : अबिक्रित वस्तुएँ, अप्रयुक्त कच्चे माल अथवा अर्ध-निर्मित वस्तुएँ जिन्हें कि कोई फर्म एक वर्ष से दूसरे वर्ष तक रखती है।
जॉन मेनार्ड कीन्ज (1883-1946) : समष्टि अर्थशास्त्र को एक पृथक अध्ययन की शाखा के रूप में स्थापित करने का श्रेय इनको ही जाता है।
श्रम : उत्पादन में प्रयुक्त मानवीय शारीरिक श्रम।
भूमि : उत्पादन में प्रयुक्त प्राकृतिक संसाधन-नियत अथवा प्रयुक्त।
वैध मुद्रा : मौद्रिक प्राधिकरण अथवा सरकार द्वारा जारी मुद्रा, जिसे लेने से कोई इनकार नहीं कर सकता।
अंतिम ऋण-दाता : किसी देश में मौद्रिक प्राधिकरण का कार्य, जिसमें वह तरलता संकट और बैंक रन की स्थिति में व्यावसायिक बैंकों की शोधन-क्षमता की गारंटी प्रदान करता है।
तरलता फंदा : अर्थव्यवस्था में ब्याज की अति निम्न दर की स्थिति, जहाँ प्रत्येक आर्थिक एजेंट भविष्य में ब्याज दर की वृद्धि की आशा करता है। परिणामस्वरूप बंधपत्रें की कीमत गिरने लगती और पूँजी का नुकसान होता है। हर व्यक्ति अपने धन को मुद्रा के रूप में रखने लगता है और मुद्रा की सट्टेबाजी की माँग असीमित हो जाती है।
समष्टि अर्थशास्त्रीय मॉडल : विश्लेषणात्मक तर्क अथवा गणितीय, रेखाचित्रीय प्रतिचित्रण के माध्यम से समष्टि अर्थव्यवस्था के कार्य का संक्षिप्त रूप में प्रस्तुतीकरण।
प्रबंधित तिरती : एक ऐसी व्यवस्था जिसमें केंद्रीय बैंक बाजार की शक्तियों के द्वारा विनिमय दर के निर्धारण की अनुमति प्रदान करता है, किंतु समय-समय पर दर को प्रभावित करने के लिए हस्तक्षेप करता है।
सीमांत उपभोग प्रवृत्ति : अतिरिक्त उपभोग और अतिरिक्त आय का अनुपात।
विनिमय माध्यम : वस्तु विनिमय को प्रोत्साहित करने के लिए मुद्रा का प्रधान कार्य।
मुद्रा गुणक : किसी अर्थव्यवस्था में कुल मुद्रा पूर्ति और उच्च शक्तिशाली मुद्रा के स्टॉक का अनुपात।
संकुचित मुद्रा : करेंसी नोट, सिक्के, माँग जमा, जो जनता के द्वारा व्यावसायिक बैंकों में रखे जाते हैं।
राष्ट्रीय प्रयोज्य आय : बाजार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद $ शेष विश्व से अन्य चालू अंतरण।
निवल घरेलू उत्पाद : किसी देश की सीमा के अंतर्गत उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का समस्त मूल्य, जिसमें पूँजी स्टॉक के मूल्यह्रास शामिल नहीं होते।
परिवारों द्वारा किये गए निवल ब्याज अदायगी : परिवार द्वारा फर्मों को किये गए ब्याज भुगतान - परिवारों द्वारा प्राप्त ब्याज भुगतान।
निवल निवेश : पूँजी स्टॉक में अतिरिक्त वृद्धि। सकल निवेश के विपरीत, इसमें पूँजी स्टॉक के अवक्षय के लिए प्रतिस्थापन शामिल नहीं होता।
निवल राष्ट्रीय उत्पाद (बाजार कीमत पर) : सकल राष्ट्रीय उत्पाद - मूल्य ”ास।
निवल राष्ट्रीय उत्पाद (कारक लागत पर) अथवा राष्ट्रीय आय : बाजार मूल्य पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद- अप्रत्यक्ष कर-उपदान।
नाममात्र विनिमय दर : देशी मुद्रा की इकाइयों की वह संख्या, जो कि कोई एक इकाई विदेशी मुद्रा की प्राप्ति के लिए देता है। यह विदेशी मुद्रा की देशी मुद्रा के रूप में कीमत है।
नाममात्र सकल घरेलू उत्पाद : सकल घरेलू उत्पाद का चालू बाजार कीमतों पर मूल्यांकन किया जाता है।
गैर-कर अदायगियाँ : परिवारों के द्वारा फर्मों या सरकार को किए गए गैर-कर भुगतान, जैसे कि अर्थदंड।
खुली बाजार क्रिया : केंद्रीय बैंक के द्वारा आम जनता से बंधपत्र बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद या बिक्री, जिससे अर्थव्यवस्था में मुद्रा की पूर्ति में वृद्धि अथवा कमी न हो।
मितव्ययिता का विरोधाभास : जब लोग अत्यधिक मितव्ययी हो जाते हैं, तो वे समस्त रूप में बचत कम करते हैं अथवा पूर्ववत् बचत करते हैं।
प्राचल शिफ्रट : प्राचल के मूल्य में परिवर्तन के कारण आलेख में शिफ्रट।
वैयक्तिक प्रयोज्य आय : व्यक्तिगत आय - व्यक्तिगत कर भुगतान - गैर कर भुगतान।
वैयक्तिक आय : राष्ट्रीय आय - अवितरित लाभ - परिवार द्वारा निवल ब्याज भुगतान - निगम कर $ सरकार और फर्मों से परिवारों को अंतरण भुगतान।
वैयक्तिक कर अदायगी : व्यक्ति पर लगाए गए कर, जैसे-आयकर।
माल-सूची में योजनागत परिवर्तन : योजनाबद्ध तरीके से माल-सूची के स्टॉक में किये गए परिवर्तन।
वर्तमान मूल्य (बंधपत्र का) : मुद्रा की वह मात्र, जिसे आज ब्याज अर्जन परियोजन में रखने से उतनी ही आय का सृजन होता है, जितनी कि किसी बंधपत्र के द्वारा उसकी कालावधि के उपरांत होता है।
वैयक्तिक आय : निजी क्षेत्रक को होने वाले निवल घरेलू उत्पाद से प्राप्त कारक आय
राष्ट्रीय आय की गणना की उत्पाद विधि : किसी कालावधि में अर्थव्यवस्था में होने वाले उत्पादन के समस्त मूल्य की माप करके राष्ट्रीय आय की गणना की विधि।
लाभ : उद्यमवृत्ति से प्राप्त सेवा के लिए भुगतान।
सार्वजनिक वस्तु : सामूहिक रूप से उपभोग की जानेवाली वस्तुएँ अथवा सेवाएँ। किसी को इससे लाभ उठाने से वंचित करना संभव नहीं है और एक व्यक्ति के उपभोग से अन्य के उपभोग में कमी नहीं होती।
क्रय-शक्ति समता : अंतर्राष्ट्रीय विनिमय का एक सिद्धांत, जिसके अनुसार एक समान वस्तुओं की कीमत विभिन्न देशों में समान रहती है।
वास्तविक विनिमय दर : घरेलू वस्तुओं ।
पुनर्मूल्यांकन : अधिकीलित विनिमय दर व्यवस्था में विनिमय दर में कमी, जिससे विदेशी करेंसी देशी करेंसी के रूप में सस्ती हो जाती है।
राजस्व घाटा : राजस्व प्राप्तियों की अपेक्षा राजस्व खर्च का आधिक्य।
रिकार्डो समतुल्यता : वह सिद्धांत जिसमें उपभोक्ता अग्रदर्शी होते हैं और आशा करते हैं कि सरकार आज जो ऋण-ग्रहण करती है, भविष्य में उसके पुनर्भुगतान के लिए करों में वृद्धि होगी और तद्नुसार वे उपभोग का समंजन करेंगे, जिससे इसका अर्थव्यवस्था पर वैसा ही प्रभाव होगा, जैसाकि कर में वृद्धि से आज होता।
सट्टेबाजी के लिए माँग : धन के भंडार के रूप में मुद्रा की माँग
सांविधिक तरलता अनुपात : व्यावसायिक बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विशिष्ट तरलता परिसंपत्तियों में निवेश करने के लिए कुल माँग और आवधिक जमा का अंश।
स्थिरीकरण : किसी देश के मौद्रिक प्राधिकरण के द्वारा मुद्रा बाजार में बहिर्जात अथवा कभी-कभी बाह्य आघातों, जैसे विदेशी विनिमय अंतःप्रवाह में वृद्धि के विरुद्ध मुद्रा की पूर्ति को स्थायी रखने के लिए किया गया हस्तक्षेप।
स्टॉक : जिन परिवर्तों की परिभाषा एक निश्चित काल बिंदु पर की जाती है।
मूल्य का संचय : भविष्य में उपयोग के लिए मुद्रा के रूप में धन का संचय किया जा सकता है। मुद्रा के इस कार्य को मूल्य का संचय कहा जाता है।
लेन-देन माँग : लेन-देन कार्यों के लिए मुद्रा की माँग।
सरकार और फर्मों से परिवारों को अतंरण भुगतान : अंतरण भुगतान ऐसा भुगतान है, जो कि उसके बदले में कोई सेवा प्राप्त किये ही भुगतानकर्ता भुगतान करता है। उदाहरणार्थ - उपहार, छात्रवृत्ति, पेंशन।
अवितरित लाभ : निजी या सरकारी स्वामित्व के फर्मों द्वारा अर्जित लाभ, जिसका वितरण उत्पादन के कारकों के बीच नहीं होता।
बेरोजगारी दर : रोजगार प्राप्त करने में असमर्थ लोगों की संख्या (जो कि रोजगार की तलाश में हैं) और रोजगार की तलाश में लोगों की कुल संख्या का अनुपात।
लेखांकन इकाई : विभिन्न वस्तुओं के मूल्यों की माप और तुलना के लिए मुद्रा की भूमिका एक पैमाने के रूप में है।
माल-सूची में अनियोजित परिवर्तन : माल-सूची का स्टॉक परिवर्तन, जो अप्रत्याशित तरीके से होता है।
मूल्यवर्द्धन : उत्पादन की प्रक्रिया में फर्म का निवल योगदान। इसकी परिभाषा इस तरह से की जाती है- उत्पादन का मूल्य- उपयोग में लाई गई मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य।
मजदूरी : श्रमिकों की सेवा के लिए भुगतान।
थोक कीमत सूचकांक : भारित औसत कीमत स्तर में प्रतिशत परिवर्तन। हम उन वस्तुओं के समूह की कीमतों को लेते हैं, जिनकी खरीद-बिक्री थोक में की जाती है।
डिबेंचर (Debenture) यह एक ऋण का एक साधन है जिसके माध्यम से सरकार या कंपनियां धन जुटाती हैं। यह इक्विटी शेयरों से भिन्न होता है। डीबेंचर खरीदने वाला वास्तव में कर्जदाता होता है। डिबेंचर जारी करने वाली कंपनी या संस्थान गिरवी के तौर पर कुछ नहीं रखती, खरीदार उनकी साख और प्रतिष्ठा को देखते हुए डिबेंचर खरीदते हैं। डीबेंचर जारी करने वाली कंपनी या संस्थान कर्जदाताओं (डिबेंचर खरीदने वालों को) निश्चित ब्याज देते हैं।

कंपनियां शेयरधारकों को भले ही लाभांश नहीं दे लेकिन उसे कर्जदाताओं (डिबेंचरधारकों) को ब्याज देना ही होता है। सरकार द्वारा जारी किया जाने वाला ट्रेजरी बॉन्ड या ट्रेजरी बिल आदि भी जोखिम रहित डिबेंचर ही होते हैं क्योंकि सरकार इस प्रकार के कर्ज चुकाने के लिए कर बढ़ा सकती है या अधिक नोटों का मुद्रण कर सकती है।
ऑफशोर फंड (Offshore Fund)
जिस फंड के अंतर्गत म्युचुअल फंड कंपनियां विदेश से धन जुटा कर देश के भीतर विनियोजित करती हैं उसे ऑफशोर फंड कहते हैं।
वेंचर कैपिटल (Venture Capital)
नये व्यवसाय की शुरुआत के लिए जुटाई जाने वाली पूंजी को वेंचर कैपिटल या साहस पूंजी या दायित्व पूंजी कहते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो निवेशकों द्वारा शुरु हो रही छोटी कंपनियों, भविष्य में जिनके विकास की प्रबल संभावना होती है, को उपलब्ध कराई जाने वाली पूंजी को वेंचर कैपिटल कहते हैं। कंपनियां ऐसी पूंजी जुटाने के लिए इक्विटी शेयर जारी करती हैं।
फॉरवर्ड सौदा (Forward Contract)
नकदी बाजार (शेयरों के मामले में) या हाजिर बाजार (कमोडिटी के मामले में) में किया जाने वाला सौदा जिसका निपटारा भविष्य की एक निश्चित तारीख को सुपुर्दगी के साथ निपटाया जाता है।

डेरिवेटिव (Derivative)
वैसी प्रतिभूति जिसका मूल्य उसके अंतर्गत एक या एक से अधिक परिसंपत्तियों के ऊपर निर्भर करता है या उनसे प्राप्त किया जाता है। डेरिवेटिव दो या दो से अधिक पक्षों के बीच किया जाने वाला करार है। इसका मूल्य निर्धारण उन परिसंपत्तियों के मूल्यों में होने वाले उतार-चढ़ाव के आधार पर किया जाता है। आमतौर पर ऐसी परिसंपत्तियों में स्टॉक, बॉन्ड, जिन्स, मुद्राएं, ब्याज-दर और बाजार सूचकांक शामिल होते हैं।
डेरिवेटिव का इस्तेमाल साधारणत: जोखिमों की हेजिंग के लिए किया जाता है लेकिन इसका प्रयोग सट्टेबाजी के उद्देश्य से भी किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर एक यूरोपियन निवेशक अमेरिकन कंपनी के शेयरों की खरीदारी अमेरिकन एक्सचेंज से (डॉलर का इस्तेमाल करते हुए) करता है।
शेयर अपने पास रखते हुए उसे विनिमय दर का जोखिम बना रहता है। इस जोखिम की हेजिंग के लिए वह निवेशक विशेष विनिमय दर के मुताबिक डॉलर को यूरो में परिवर्तित करना चाहेगा। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वह मुद्रा की वायदा खरीद सकता है ताकि जब कभी वह अपना शेयर बेचे और मुद्रा को यूरो में परिवर्तित करे तो उसे विनिमय दर संबंधी हानि नहीं हो।
ओपेन एन्डेड फण्ड (Open Ended Fund)
सतत खुली योजनाएंम्युचुअल फंडों की वैसी योजनाएं जिनकी कोई लॉक इन अवधि (वह पूर्व-निर्धारित अवधि जिससे पहले निवेश किए गए पैसों की निकासी की अनुमति नहीं होती है) नहीं होती है। इनके यूनिटों की खरीद-बिक्री तत्कालीन शुध्द परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) पर कभी भी की जा सकती है।
प्रतिभूतियां (Securities)
प्रतिभूतियां लिखित प्रमाणपत्र होती हैं जो ऋण लेने के बदले दी जाती है। इनमें जारी करने के शर्र्तों एवं मूल्यों का उल्लेख होता है तथा इनका क्रय-विक्रय भी किया जाता है। सरकार द्वारा जारी किया जाने वाला बॉन्ड, तरजीही शेयर, ऋण पत्र आदि प्रतिभूतियों की श्रेणी में आते हैं। प्रतिभूति शब्द का इस्तेमाल व्यापक तौर पर किया जाता है।
शेयर विभाजन (Stock Split)
कोई कंपनी अपने महंगे शेयर को छोटे निवेशकों के लिए वहनीय बनाने और उसे आकर्षक बनाने के लिए शेयरों का विभाजन करती है। अगर कोई कंपनी अपने शेयरों का विभाजन 2:1 में करती है तो उसका मतलब होता है कि शेयरों की संख्या दोगुनी कर दी गई है और उसका मूल्य आधा कर दिया गया है।

मुद्रा का विनिमय मूल्य (Exchange Value of Money)
जब देश की प्रचलित मुद्रा का मूल्य किसी विदेशी मुद्रा के साथ निर्धारित किया जाता है ताकि मुद्रा की अदला-बदली की जा सके तो इस मूल्य को मुद्रा का विनिमय मूल्य कहा जाता है। वह मूल्य दोनों देशों की मुद्राओं की आंतरिक क्रय शक्ति पर निर्भर करता है।
मुद्रास्फीति (Money Inflation)
मुद्रास्फीति वह स्थिति है जिसमें मुद्रा का आंतरिक मूल्य गिरता है और वस्तुओं के मूल्य बढ़ते हैं। यानी मुद्रा तथा साख की पूर्ति और उसका प्रसार अधिक हो जाता है। इसे मुद्रा प्रसार या मुद्रा का फैलाव भी कहा जाता है।
मुदा अवमूल्यन (Money Devaluation)
यह कार्य सरकार द्वारा किया जाता है। इस क्रिया से मुद्रा का केवल बाह्य मूल्य कम होता है। जब देशी मुद्रा की विनिमय दर विदेशी मुद्रा के अनुपात में अपेक्षाकृत कम कर दी जाती है, तो इस स्थिति को मुद्रा का अवमूल्यन कहा जाता है।
रेंगती हुई मुद्रास्फीति (Creeping Inflation)
मुद्रास्फीति का यह नर्म रूप है। यदि अर्थव्यवस्था में मूल्यों में अत्यंत धीमी गति से वृद्धि होती है तो इसे रेंगती हुई स्फीति कहते हैं। अर्थशास्त्री इस श्रेणी में एक फीसदी से तीन फीसदी तक सालाना की वृद्धि को रखते हैं। यह स्फीति अर्थव्यवस्था को जड़ता से बचाती है।
रिकॉर्ड तारीख (Record List)
बोनस शेयर, राइट शेयर या लाभांश आदि घोषित करने के लिए कंपनी एक ऐसी तारीख की घोषणा करती है जिस तारीख से रजिस्टर बंद हो जाएंगे। इस घोषित तारीख तक कंपनी के रजिस्टर में अंकित प्रतिभूति धारक ही वास्तव में धारक माने जाते हैं। इस तारीख को ही रेकॉर्ड तारीख माना जाता है।
रिफंड ऑर्डर (Refun Order)
यदि किसी शेयर आवेदन पत्र पर शेयर आवंटन की कार्यवाही नहीं होती तो कंपनी को आवेदन पत्र के साथ संपूर्ण रकम वापस करनी होती है। रकम वापसी के लिए कंपनी जो प्रपत्र भेजती है उसे रिफंड ऑर्डर कहा जाता है। रिफंड ऑर्डर चेक, ड्राफ्ट या बैंकर चेक के रूप में होता है तथा जारीकर्ता बैंक की स्थानीय शाखा में सामान्यत: सममूल्य पर भुनाए जाते हैं।
लाभांश (Dividend)
विभाजन योग्य लाभों का वह हिस्सा जो शेयरधारकों के बीच वितरित किया जाता है, लाभांश कहा जाता है। यह करयुक्त और करमुक्त दोनों हो सकता है। यह शेयरधारकों की आय है।
लाभांश दर (Dividend Rate)
कंपनी के एक शेयर पर दी जाने वाली लाभांश की राशि को यदि शेयर के अंकित मूल्य के साथ व्यक्त किया जाए तो इसे लाभांश दर कहा जाता है। इसे अमूमन फीसदी में व्यक्त किया जाता है।
लाभांश प्रतिभूतियां (Dividend Securities)
जिन प्रतिभूतियों पर प्रतिफल के रूप में निवेशक को लाभांश मिलता है, उन्हें लाभांश वाली प्रतिभूतियां कहा जाता है। जैसे समता शेयर, पूर्वाधिकारी शेयर।
शून्य ब्याज ऋणपत्र (Zero Rated Deventure)
इस श्रेणी के डिबेंचरों या बॉन्डों पर सीधे ब्याज नहीं दिया जाता, बल्कि इन्हें जारी करते वक्त कटौती मूल्य पर बेचा जाता है और परिपक्व होने पर पूर्ण मूल्य पर शोधित किया जाता है। जारी करने के लिए निर्धारित कटौती मूल्य के अंतर को ही ब्याज मान लिया जाता है।

सकल घरेलू उत्पाद- एक वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं का अंतिम मौद्रिक मुल्य उसका सकल घरेलू उत्पाद (GDP)
1. जीडीपी में होने वाला वार्षिक प्रतिशत परिवर्तन ही किसी अर्थव्यवस्था की वृद्घि दर (Growth Rate) है। 
2. यह किसी अर्थव्यवस्था की आंतरिक शक्ति को दर्शाता है।
3. यह अर्थव्यवस्था की उत्पादकता की मात्रा का अनुमान देता है-गुणात्मकता के तत्व को यह दर्शा पाता है।
4. दस अवधारण का प्रयोग तुलनात्मक अर्थशास्त्र में आर्थिक अध्ययनों के लिए किया जाता है।
शुद्घ घरेलू उत्पाद- शुद्घ घरेलू उत्पाद किसी अर्थव्यवस्था का वह जीडीपी है, जिसमें से एक वर्ष के घिसावटïïï-टूट और फूट को बाद करके प्राप्त किया जाता है। जिसका कारण उनका घिसना या टूटना फूटना होता है। यह एक तरह से शुद्घ जीडीपी है।
सकल राष्टरीय उत्पाद- किसी अर्थव्यवस्था द्वारा एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं एंव सेवाओं के अंतिम मौद्रिक मूल्य में जब उस वर्ष के उसके विदेशों से आय को जोडते हैं ,जो आय का आकलन होता है, उसे सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है।

निबल राष्टरीय उत्पाद- किसी अर्थव्यवस्था द्वारा उत्पादित एक वर्ष के सभी वस्तुओं के अंतिम मौद्रिक मूल्य में विदेशों से आय को जोड़कर और घिसावट घटाकर करके जो आय की राशि बचती है, उसे शुद्घ राष्टरीय उत्पाद कहा जाता है।

कर और राष्टरीय कर- किसी देश के उत्पादनकर्ताओं में सरकार भी एक घटक है, जो प्रत्यक्ष उत्पादन (सरकारी कंपनियों द्वारा) के अतिरिक्त करों से भी आय अर्जित करती है। इन करों की राष्टरीय आय में गणना की विधि इस प्रकार है-

प्रत्यक्ष कर- प्रत्यक्ष कर (आय कर, संगठन कर आदि) कर दाता अपनी आय के एक हिस्से से अदा करता है, जिस कारण वह राष्टरीय आय में स्वयं जुड़ा होता है।

अप्रत्यक्ष कर- अप्रत्यक्ष कर करों (उत्पादन कर, मूल्य वर्धित कर बिक्री कर आदि)का भुगतान करदाता अपनी आय से करता है लेकिन अगर सरकार इसे अपनी राष्टरीय आय में पुन: जोड़े तो यह पुनरावृत्ति हो जाएगी। अत: राष्टरीय आय (साधन लागत) में से अप्रत्यक्ष करों को गणना घटा दिया जाता है।

मुद्रास्फीती- महंगाई आम आदमी को सबसे प्रभावित करने वाली सबसे विदित आर्थिक अवधारणा है। भारत में यह एक काफी संवेदनशील मुद्दा रहा है।

परिभाषा- मूल्य स्तरों में होने वाला सतत वृद्घि मुद्रास्फीति है। आम बोल-चाल की भाषा में मुद्रास्फीति, मंहगाई है। लेकिन सिद्घांतत : मूल्यों का गिरना भी मुद्रास्फीति है।

आवासीय मूल्य सूचकांक- भवन निर्माण उद्योग में बाजार संबंधी पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा आवासीय मूल्य सूचकांक के निर्माण पर कार्य किया जा रहा था। 9 जुलाई 2007 को सरकार द्वारा इस प्रकार के एक सूचकांक की घोषणा की गई। एन.एच. बी. रेजीडेक्स नामक सूचकांक का विकास देश के आवासीय ऋण नियामक राष्टï्रीय आवास बैंक द्वारा किया गया है। अभी इसे पायलट स्वरूप देश के पांच शहरों के लिए जारी किया गया है- बेंगलुरू, भोपाल, दिल्ली, कोलकत्ता और मुम्बई। इसके द्वारा पांचों शहरों का पांच वर्षों (2000-05) के स्थानीय स्तर के सूचकांकों का निरूपण किया जाता है।

ट्रेजरी बिल- वर्ष 1986 में प्रारंभ किए गए इस संघटक का उपयोग सरकार करती है। इसमें आज 91 और 182 दिवसीय ञ्जक्चह्य का संचयन है (14 और 364 दिवसीय ञ्जक्चह्य को मई 2001 में निरस्त कर दिया गया)।

कॉल मुद्रा बाजार- वर्ष 1992 से शुरू हुआ यह बाजार अंतर-बैंक संघटक है।

जमा प्रमाण पत्र- वर्ष 1989 में प्रारंभ किया गया मुद्रा बाजार का यह संगठन बैंकों के लिए है।

वाणिज्यिक बिल-1990 में संगठित इस संगठक का उपयोग संगठित क्षेत्र के द्वारा किया जाता है।

वाणिज्यिक पेपर- वर्ष 1990 में संगठित इस संगठन का उपयोग गैर बैंकिंग वित्त कंपनियों एंव अखिल भारती वित्तीय संस्थानों के द्वारा 'प्रोमिसरी नोट्सÓ के रूप में किया जाता है।

रिपो-रेडी फारवर्ड लेन देन- वर्ष 1993 में संगठित इस संगठन में उपरोक्त सभी वर्गों को उपयोग की अनुमति है। व्यक्तिगत स्तर पर उपयोग के लिए ऐसा कोई मुद्रा बाजार का संघटन विकसित नहीं किया गया है। वैसे सरकारी और निजी बैंकों द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाला क्रेडिट कार्ड इस श्रेणी में आता है। क्रेडिट कार्ड वास्तव में मुद्रा बाजार और पूंजी बाजार दोनों ही का किसी व्यक्ति के स्तर का एक संगठन है।

अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान-
1. भारतीय औद्योगिक वित्त निगम
2. भारतीय औद्योगिक साख एंव निवेश निगम
3.भारतीय औद्योगिक विकास बैंक
4. भारतीय लद्यु औद्योगिक विकास बैंक
5.भारतीय औद्योगिक निवेश बैंक
भारत में तीन निवेश संस्थान प्रमुख हैं-

1. भारतीय जीवन बीमा निगम 1956

2. भारतीय साधारण बीमा निगम 1971

3. भारतीय यूनिट ट्रस्ट 1964

राष्टरीय शेयर बाजार- मुंबई स्टाक एक्सचेंज भारत का सबसे पुराना स्टाक एक्सचेंज है। राष्टरीय एक्सचेंज का मुख्यालय मुंबई के वर्ली में है। मुंबई स्टाक एक्सचेंज के 30 अत्यधिक संवेदनशील शेयरों के मूल्यसूचकांक को संवेदी सूचकांक (SENSEX Sensitive Index) कहते हैं। इस बाजार में 27 मई 1994 को दो नए शेयर मूल्य सूचकांक चालू किए गए बीएससी-200 और डालेक्स। बीएससी 200 इसमें 85 विशिष्टï ए श्रेणी और 115 अविशिष्ट बी श्रेणी के कुल 200 प्रमुख कंपनियों के शेयरों को शामिल किया गया है, जिसमें 21 सार्वजनिक उपक्रमों के शेयर भी शमिल हैं।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI)- पूंजी बाजार में निवेश को संरक्षण प्रदान करने तथा निवेशों में विश्वास की भावना उत्पन्न करने के उद्देश्य से 1988 स्श्वक्चढ्ढ में की स्थापना की गई और 1992 में एक अधिनियम द्वारा इस संस्था को वैधानिक दर्जा प्रदान कर दिया गया। इसका मुख्यालय मुंबई में है और क्षेत्रीय कार्यालय कोलकत्ता दिल्ली और चेन्नै में है।
प्रत्यक्ष कर प्रणाली- केंद्र सरकार के बजट में मुख्य प्रत्यक्ष कर आय कर (इन्कम टैक्स) और निगम कर (कॉरपोरेट कर) है। आय कर का आधार जहां वार्षिक व्यक्तिगत आय है, वहीं निगम कर का आधार निगमों का वार्षिक लाभ है।
अप्रत्यक्ष कर प्रणाली- अप्रत्यक्ष करों के संबंध में महत्वपूर्ण समस्या यह है कि इन करों को किस आधार पर अर्थात किस प्रणाली से आरोपित किया जाय।
मूल्य वृद्घित कर (वैट)- किसी भी वस्तु अथवा सेवा के उत्पादन में वितरण के प्रत्येक स्तर पर वस्तुओं एंव सेवाओं के मूल्य में होने वाली वृद्घि पर यदि कर लगाया जाता है तो यह प्रणाली मूल्य वृद्र्घित कर प्रणाली कहा जाता है।

प्लास्टिक मनी- प्लास्टिक मनी से तात्पर्य विभिन्न बैंकों, वित्तीय संस्थानों द्वारा जारी की जाने वाली क्रेडिट कार्ड से है।
नेट बैकिंग- इंटरनेट द्वारा घर बैठे बैंकिंग कार्यों का संचालन नेट बैंकिग कहलाता है।
लीड बैंक योजना- 1969 में इस योजना से देश के प्रत्येक जिले में बैंक शाखाओं की संख्या के आधार पर एक बैंक को लीड बैंक घोषित किया जाता है।
चेक- चेक एक प्रकार का बिल ऑफ एक्सचेंज होती है। जो एक निर्दिष्ट बैंक के ऊपर आहरित होती है। 
विनमय पत्र- यह एक ऐसा लिखित विपत्र है जो किसी व्यक्ति को यह शर्त रहित आज्ञा देता है कि वह एक निश्चित धन राशि किसी व्यक्ति विशेष या उसके आदेशानुसार किसी व्यक्ति को भुगतान कर दे।
डी-मैट अकाउंट- यह एक प्रकार का बैंक खाता है जहां रुपयों की जगह शेयर व बॉन्ड रखे जाते हैं।
हालमार्क - स्वर्णाभूषण गुणवत्ता निर्धारण करने के लिए भारतीय मानक ब्यूरो ने हालमार्क योजना 2000 में प्रारम्भ की। 
एम्बार्गो- यह एक व्यापार प्रतिबंध है जिसके अंर्तगत एक या कई राष्ट्र मिलकर दूसरें देशों के साथ अपना पूरा व्यापार बंद कर देते हैं। 
हवाला- हवाला, विदेशी विनमय चैनलों के समनांतर एक प्रणाली है। जिसमें भुगतान घरेलू मुद्रा में व इसके बदले में विदेशों में विदेशी मुद्रा में आपूर्ति की जाती है। 
स्वीट शेयर- इ वे शेयर जो कंपनी के कर्मचारी किसी को रियायती दरों में उपलब्ध कराते हैं। 
अनौपचारिक क्षेत्र-विकासशील देशों में लोग छोटे मोटे,श्रमप्रधानव्यवसायों में लगे होते हैं। जो सरकारी आंकड़ों में सूचीबद्ध भी नहीं होते। अनौपचारिक या असंगठित क्षेत्र कहलाता है। 
क्लोजिंग स्टॉक- वह माल जो व्यापार वर्ष के अंत में प्रयोग होने से बच जाता है। 
मूर्त संपत्तियां- वे संपत्तियां जो अचल या स्थाई होती है। जैसे मकान,भूमि व बाकी भौतिक सम्पत्तियां। 
गिल्ड एज बाजार- इसके अंर्तगत क्रय विक्रय की जाने वाली प्रतिभूतियों को सरकारी समर्थन मिलता है। भारत में प्रतिभूतियों का क्रय विक्रय का काम आरबीआई के माध्यम से होता है। 
काला धन- जिस धन पर प्रत्यक्ष कर नहीं दिया जाता उसे काला धन कहते हैं। 
ब्रिज लोन- जब कोइ कंपनी अपनी पूंजी के विस्तार के लिए अपने नए शेयर व डिबेंचर्स जारी करता है। कंपनी को इस दौरान पूंजी जुटाने में काफी समय लगता है। इस दौरान धन की कमी पूरी करने के लिए कंपनी बैंको से अल्पअवधि ऋण लेती हैं जिन्हे ब्रिज लोन कहते हैं।
हार्ड करेंसी- अंतरराष्ट्रीय बाजार में जिस मुद्रा की आपूर्ति की तुलना में मांग अधिक रहती है। हार्ड करेंसी कहलाती है। जैसे डॉलर,यूरो,पौंड आदि। 
सॉफ्ट लोन- जिस ऋण को कम ब्याज व लंबी भुगतान अवधि जैसी आसान शर्तों पर उपलब्ध कराया जाता है,सॉफ्ट लोन कहलाता है। 
संपत्ति कर- किसी व्यक्ति द्वारा संचित संपत्ति के आधार पर लगने वाले कर को संपत्ति कर कहते हैं।
बौद्धिक संपदा- मानव की वह संपत्ति जो उसके स्वयं के बौद्धिक क्षमताओं द्वारा तैयार की जाती है। जैसे नवीन सिद्धांत, नई खोजें,साहित्य, कलात्मक रचनाएं। 
ब्लू चिप- वे कंपनियां जिनकी बाजार में अच्छी साख होती है। उनके शेयर खरीदने पर नुकसान संभावनाएं कम से कम हों। ब्लू चिप कंपनी कहलाती हैं। 
ग्रेशम का नियम- 'यदि किसी समय बाजार में अच्छी व बुरी मुद्राएं दोनों एक साथ चल रहीं होंं तो बुरी मुद्रा अच्छी मुद्रा को चलन से बाहर कर देती है।' 
गोल्ड - हर देश का स्वर्ण मान अलग अलग होता है। प्रत्येक देश चल रही कुल मुद्रा की तुलना में एक तय स्वर्ण भंडार रखता है। गोल्ड स्टैडर्ड कहलाता है। 
कोर सेक्टर- औद्योगिक विकास हेतु कुछ आधारभूत उद्योगों की जरूरत होती है,जैसे सीमेंट,लोहा,इस्पात आदि। इन उद्योगों को कोर सेक्टर कहा जाता है।
एग्रोनामिक्स- यह किसी श्रमिक की कार्यक्षमता व उनके द्वारा किए जाने वाले वास्तविक कार्यों के मध्य संबधों का अध्ययन एग्रोनामिक्स कहलाती है। इसके अध्ययन का उद्देश्य कार्य क्षमता में वृद्वि होती है।
उत्पाद संघ(कार्टेल)- किसी उत्पाद के उत्पादकर्ताओं के संघ को उत्पाद संघ या कार्टेल कहते हैं।
मोनोपॉली- किसी वस्तु के उत्पादन व व्यापार पर एक व्यक्ति, संस्था या समूह के एकाधिकार को मोनोपॉली कहते हैं।

म्यचुअल फंड- म्यूचुअल फंड के अंर्तगत जन साधारण के निवेश योग्य धन को उनकी मर्जी पर बेहतर अवसरों वाली जगहों पर प्रयोग किया जाता है। 
सावधि ऋण- वे ऋण, जिसके भुगतान के लिए अवधि के अनुसार शर्तें निर्धारित होती हैं। सावधि ऋण है। यह सामान्यतय: कृषि व उद्योगों की दीर्घकालीन आवश्यकताओं के लिए दिए जाते हैं। 
मर्चेंट बैकिंग- इसके अंर्तगत औद्योगिक व वाणिज्यक संस्थानों को विशिष्ट प्रकार की सेवाएं उपलब्ध कराई जाते हैं। मर्चेंट बैकिंग कहलाती है।
व्यक्तिगत प्रतिभूति- बैंकों द्वारा छोटे ऋणों के लिए ऋण लेने वाले व्यक्ति को अथवा किसी तीसरे व्यक्ति की व्यक्तिगत प्रतिभूति या गांरटी को ही स्वीकार किया जाता है।
नकद आरक्षी अनुपात- सभी बैंकों को कुल जमा का का 3 सें 15 प्रतिशत आरबीआई के पास नकद जमा रखना पड़ता है। जिसे सीआरआर कहते हैं। 
भारतीय बजट से जुडी शब्दावली

1. राजकोषीय नीति (Fiscal Policy):-एक ऐसी नीति जो कि सरकार की आय, सार्वजनिक व्यय (रक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली पानी सड़क इत्यादि), कर की दरों (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष), सार्वजनिक ऋण, घाटे की वित्त व्यवस्था से सम्बंधित होती है|

2. समेकित कोष (Consolidated Fund):- यह भारत सरकार का वह कोष है जिसमे सरकार की समस्त राजस्व प्राप्तियां, सरकार द्वारा जारी किये गए ट्रेज़री बिल्स और वसूले गए ऋण आदि को शामिल किया जाता हैं |

3. आकस्मिक कोष (Contingency Fund):-इस फण्ड में आकस्मिक व्यय को पूरा