सातवाहन काल-
स्वर्ण सिक्के का उल्लेख केवल साहित्य में है लेकिन मिले नहीं है। चाँदी के सिक्के मिले हैं । शक शासक नहपान के सिक्के को सातवाहनों ने अपने नाम पर ढलवा लिया।
रोम से सिक्के मगवाते थे ।
सीसा पोटीन ताँबे के सिक्के।
भाषा--प्राकृत, लिपि--ब्राह्मी, सिर्फ नाम अंकित है राजा की छवि नही।
सबसे ज्यादा जोगलथम्बी, करीमनगर से मिले हैं।
गुप्त काल---
सबसे ज्यादा सोना चांदी ताँबा का मिला है। कुल 20 प्रकार के सिक्के।
सबसे लोकप्रिय धनुर्धारी प्रकार का।
कुमारगुप्त के सबसे ज्यादा सिक्के मिले हैं।
केवल घटोत्कच, चन्द्रगुप्त प्रथम, कच, रामगुप्त के धनुर्धारी प्रकार के सिक्के नही मिले हैं, अन्य सभी के मिले हैं।
A चन्द्रगुप्त प्रथम----- राजदम्पत्ति का सिक्का (सबसे ज्यादा)। सिंहवाहिनी, लिच्छवयः का अंकन।
B कच के सिक्के पर सर्वराजोच्छेता का अंकन।
C समुद्रगुप्त--- 6 प्रकार के सिक्के। अश्वमेध प्रकार पर राजा का अंकन नही है केवल घोड़ा, समुद्र का है।
D चन्द्रगुप्त द्वितीय-- चन्द्र, विक्रम प्रकार के सिक्के।
E कुमारगुप्त--- 6 नये प्रकार के सिक्के केवल इसी ने चलाये, अन्य किसी ने नहीं। कार्तिकेय, गजारोही, षडगधारी। मयूर का अंकन।
F भानुगुप्त की उपाधि प्रकाशादित्य का अंकन
सिक्कों का भार--- कुषाण ----122-123 ग्रेन-- आठ ग्राम के आस पास।
चन्द्रगुप्त प्रथम, कच, समुद्रगुप्त---118 से 120 ग्रेन। कुषाणों से कम वजन के हैं।
चन्द्रगुप्त द्वितीय--- औसत 121 ग्रेन, कभी कभी 128 ग्रेन।
कुमारगुप्त का भी इसी प्रकार का है।
स्कन्दगुप्त--- 132 से 144 ग्रेन
विष्णुगुप्त--- 151 ग्रेन
सिक्कों का वजन क्रमशः बढ़ रहा है लेकिन शुद्धता घट रही है।
चन्द्रगुप्त द्वितीय--- सोने की शुद्धता 80 %
स्कन्दगुप्त --- 67%
विष्णुगुप्त--- 40% । सबसे बड़ा एवं सबसे अशुद्ध सोने का सिक्का विष्णुगुप्त का है।
चाँदी के सिक्के--- चन्द्रगुप्त द्वितीय, कुमारगुप्त, स्कन्दगुप्त, बुद्धगुप्त के हैं।
सबसे ज्यादा चाँदी का सिक्का चन्द्रगुप्त द्वितीय ने चलाया । पश्चिमी भारत में।
ताँबे के सिक्के--- समुद्रगुप्त, चन्द्रगुप्त द्वितीय, रामगुप्त, कुमारगुप्त।
रामगुप्त के विदिशा एवं एरण से ।
पश्चिमी क्षत्रपों के समान चाँदी का सिक्का चलाया गया था उसी तरह सीसे के सिक्के चलाये गये सेम पैटर्न पर। चन्द्रगुप्त द्वितीय, कुमारगुप्त, स्कन्दगुप्त द्वारा।
Saturday, 26 August 2017
सातवाहन
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment