Monday, 28 August 2017

मध्य काल में सिक्के

मध्य काल में सिक्के----
मुहम्मद बिन कासिम (712)--- खलीफा के सिक्के को प्रचलित करवाया।
अरबों ने खुतबा एवं कलमा को अपने सिक्कों पर खुदवाते थे। दिरहम नामक सिक्के का प्रचलन सिन्ध मे करवाया था।
महमूद गजनवी---- सोने का सिक्का -- 160 ग्रेन।
कलमा/ अलकादिर बिल्लाह अमीर उल मोमनीन का अंकन।
मुसलमानों को फेथफुल कहा जाता है--- अल्लाह, पैगम्बर।
चाँदी का दिरहम--- लाहौर से।
लाहौर का नाम बदल कर रख दिया महमूदपुर।
सिक्के पर--- कलमा / उपाधि-- अमीरउद्दौला। यह कूफी लिपि (old arabic) मे लिखा गया है।
सिक्के के एक पट पर संस्कृत में अव्यमेकं मुहम्मद अवतारः अंकित है। अव्यमेकं(निर्गुण)।
मुहम्मद को रसूल के अवतार का रुप दिया गया है।
मुहम्मद गोरी---
दो तरह के सिक्के---- 1. लक्ष्मी प्रकार 2. वृषभ-- अश्वारोही प्रकार।
वृषभ--श्रीमुहम्मद बिन साम, घोड़ा--श्रीहम्मीर। 11वी व 12वी शदी मे यही सिक्के प्रचलन में थे।
बख्तियार खिलजी---- सोने का। अपने मालिक मुहम्मद गौरी के नाम पर सिक्का चलवाया था।
ऐबक के एक भी सिक्के नहीं मिलते हैं।
इल्तुतमिश---मुद्रा प्रणाली का मानकीकरण(standa
rdize) किया। 1. टंका 2. जीतल
1228 ई० मे इल्तुतमिश ने एक सिक्का चलवाया है जिसके ऊपर अब्बासी खलीफा अल मुस्तनसीर का नाम अंकित है।
कयास कुरान हदीस इजमा इस्लामी कानून के आधार हैं।
मिल्लत--- बिरादरी मे तय किया जाएगा---सर्वोत्तम को सर्वश्रेष्ठ।
अबूबक्र, उस्मान उमर अली---चार खलीफा।
बुल या वृषभ व अश्वारोही प्रकार के सिक्के चलाये।
श्री शमशुद्दीन, श्री हम्मीर---- नागरी लिपि। नागरी मे विक्रम संवत अंकित है। अभी भारत में हिजरी सम्वत शुरू नहीं हुआ था।
रजिया सुल्तान--- सिक्के पर पिता का नाम है।
अपने सिक्के नही चलाए।
बलबन--- बलबन के पूर्व जो सुल्तानों के चित्रांकन सिक्के पर थे बलबन ने उसे समाप्त कर दिया।
जलालुद्दीन--- कोई नया सिक्का नही।
अलाउद्दीन खिलजी--- 100 तोले तक का सोने का सिक्का।
सबसे बड़ा सोने का सिक्का--200 तोला----मुबारकशाह।
ठक्कर फेरू----मुद्राशास्त्री था।
अलाउद्दीन खिलजी ने अपने सिक्के से खलीफा का नाम हटवा दिया। उस पर लिखवाया 'सिकंदर उस सानी'।
मुबारकशाह--- स्वयं खलीफा। अल इमाम अल आजम खलीफा रब अल अल्मीन।
Supreme Head of Islam.
Khalifa of the Lord of Heaven and Earth.
अलाउद्दीन--- गनी सिक्का चलवाया। 60 गनी = 1 टंका। जीतल को बंद करवा दिया। इसके स्थान पर दाम चलवाया। एगनी, दुगन्नी, चौगन्नी। गनी मूलतः ताँबें का होता था। इसमें कुछ मात्रा चाँदी का मिलाया । एगन्नी मे 5%, दुगन्नी मे 9.75%, चौगन्नी मे 16.4% ।
गनी का बिसवां हिस्सा बिस्वा कहा जाता था। क्रमशः घटते हुए---- टंका-गनी-बिस्वा।
बिस्वा के बाद अध्वा। अध्वा= 1/8 गनी।
पैसा= 1/4 गनी= 5 बिस्वा।
सिक्कों का राजकुमार-----मुहम्मद बिन तुगलक।
इल्तुतमिश-- सिक्के की ढलाई--दिल्ली में
रजिया--- लखनौती
अलाउद्दीन--- देवगिरि, रणथम्भौर
मुबारक--- कुतुबाबाद(देवगिरि), रणथंभौर
मु. बिन तु.MBT---- दिल्ली, रणथंभौर(दारूल इस्लाम), लखनौती, सतगाँव, सुल्तानपुर, तेलंगाना, तुगलकाबाद(तिरूहित)।
MBT---- सिक्के पर अलशहीद का अंकन। MBT का इसके द्वारा गयासुद्दीन के प्रति श्रद्धा व्यक्त किया गया है।
MBT ने कलमा का अंकन पुनः शुरू करवाया। सिक्के का भार बढ़ा दिया।
टंका -- 170 ग्रेन मे परिवर्तन कर टंका की जगह दीनार---201 ग्रेन का प्रचलन करवाया।
अपने जीवन काल में ही दीनार को बंद करवा दिया। फिर आ गया टंका।
अदली नामक चाँदी का सिक्का चलवाया---144 ग्रेन।
सांकेतिक मुद्रा---- एक महान प्रयोग किन्तु असफल हुई। ताँबे का सिक्का चलवाया।
प्रशासन के द्वारा प्रशासित मौद्रिक व्यवस्था ही सांकेतिक मुद्रा है जिस पर शासक द्वारा मूल्य का अंकन हुआ था।
बहलोल लोदी---चाँदी की कमी। कापर एवं विलन के सिक्के चलवाए।

No comments:

Post a Comment